चैत्र नवरात्री 2022 : नवरात्रि के पांचवें दिन माँ दुर्गा के पांचवें स्वरूप में माँ स्कंदमाता की उपासना की जाती है। माँ के नाम में स्कंद का अर्थ भगवान कार्तिकेय और माता का अर्थ माँ से है। इनके नाम का अर्थ ही स्कंद की माता है। स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। मान्यता है कि अगर कोई भक्त सच्चे मन से स्कंदमाता की पूजा करे तो उनको कभी भी किसी भी प्रकार के संकट का सामना नहीं करना पड़ता है। तो आइए अब हम जानते है कि घर में स्कंदमाता की पूजा कैसे करें।
स्कंदमाता की व्रत कथा :

कार्तिकेय को पुराणों में सनत-कुमार, स्कन्द कुमार आदि नामों से जाता है। कार्तिकेय को देवताओं का कुमार सेनापति भी कहा जाता है। मां अपने इस रूप में शेर पर सवार होकर अत्याचारी दानवों का संहार करती हैं। पर्वतराज की बेटी होने के कारण इन्हें पार्वती भी कहते हैं और भगवान शिव की पत्नी होने के कारण इनका एक नाम माहेश्वरी भी है। इनके गौर वर्ण के कारण इन्हें गौरी भी कहा जाता है। मां को अपने पुत्र से अधिक प्रेम है इसलिए इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है जो अपने पुत्र से अत्याधिक प्रेम करती हैं। मां कमल के पुष्प पर विराजित अभय मुद्रा में होती हैं इसलिए इन्हें पद्मासना देवी और विद्यावाहिनी दुर्गा भी कहा जाता है।
मां स्कंदमाता के मंत्र :

- सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया.
- शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
- ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥