यूनिफॉर्म सिविल कोड के समर्थन में AAP विपक्षी एकता को लगा बड़ा झटका?

29 Jun, 2023
Head office
Share on :

नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी (आप) ने सैद्धांतिक रूप से देशवासियों के लिए समान नागरिक संहिता (UCC) का समर्थन करने का ऐलान किया है. हालांकि, पार्टी का मानना है कि इस दिशा में किसी भी कदम से पहले सभी से सलाह करना जरूरी होना चाहिए. 

एक निजी चैनल से बातचीत करते हुए राज्यसभा से सांसद संदीप पाठक ने कहा कि सैद्धांतिक तौर पर हम यूनिफॉर्म सिविल कोड का समर्थन कर रहे हैं. संविधान का अनुच्छेद 44 भी इसे सपोर्ट करता है. चूंकि यह मुद्दा सभी धार्मिक समुदायों से संबंधित है, इसलिए आम सहमति बनाने के लिए व्यापक विचार-विमर्श और प्रयास होने चाहिए. बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि राज्य पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा. 

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी की यूसीसी पर की गई टिप्पणी की मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने कड़ी आलोचना की है. पार्टी के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने कहा है कि समान संहिता को ‘एजेंडा-संचालित बहुसंख्यकवादी सरकार’ द्वारा लोगों पर थोपा नहीं जा सकता है. साथ ही चेतावनी भी दी है कि “विभाजन बढ़ेगा”.

इस टिप्पणी पर इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश में समान नागरिक संहिता लागू करने का मुद्दा केवल अगले साल लोकसभा चुनाव से पहले चुनावी एजेंडे के तौर पर आगे बढ़ा रहे हैं क्योंकि उनके पास नौ साल के कार्यकाल की कोई उपलब्धि दिखाने के लिए नहीं है।

वहीं आज नैशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री रहे फ़ारूक़ अब्दुल्लाह का यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बड़ा बयान सामने आया है। फ़ारूक़ अब्दुल्लाह ने कहा कि, ‘UCC पर सरकार को सोचना चाहिए। UCC से बड़ा तूफ़ान ना आ जाए’

क्या है समान नागरिक सहिंता

समान नागरिक सहिंता देश के सभी नागरिकों के लिए समान कानूनों की बात करती है. यानी, विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम देश में इस समय अलग-अलग धर्मों को लेकर अलग-अलग कानून हैं, इसलिए देश में बीजेपी बीते काफी सालों से यूसीसी लाने का प्रयास कर रही है, ये उसके कई चुनावी वादों में से एक बड़ा चुनावी वादा भी है.

कैसी होगी समान नागरिक सहिंता

चूँकि अभी विधि आयोग ने देश के नागरिकों से यूसीसी को लेकर सुझाव मांगे हैं, और इन सुझावों की अंतिम तिथि 15 जुलाई होगी, इसके बाद मिले सुझावों के आधार पर कानून मंत्रालय और इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों, राजनीतिज्ञों, शिक्षाविदों और सभी धर्मों के लोगों की एक कमेटी की भी राय ली जाएगी, और उनके सुझावों के आधार पर कानूनी जानकारी रखने वाली एक टीम इसका प्रारंभिक ड्राफ्ट तैयार करेगी. उस ड्राफ्ट के तैयार होने के बाद ही यह पता चल सकेगा कि आखिर देश में यह कानून किस तरह का होगा.

हालांकि अभी तक की मिली जानकारी के अनुसार यूसीसी इन मुद्दों को टॉरगेट करेगी…

  1. मैरिज
  2. डिवोर्स
  3. उत्तराधिकार
  4. एडॉप्शन
  5. गार्जियनशिप और
  6. जमीन और संपत्ति का बंटवार

क्या पर्सनल लॉ को रिप्लेस कर देगी यूसीसी?
दावा किया जा रहा है कि यूसीसी भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार को सुनिश्चित करेगी, साथ ही अनुच्छेद 15 के तहत रिलीजन, रेस, कास्ट, सेक्स या फिर प्लेस ऑफ बर्थ के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव पर रोक लगाने का काम करेगी. ये कानून पर्सनल लॉ या फिर धार्मिक किताबों पर आधारित कानूनों और परंपराओं को इस यूनिफार्म सिविल कोड से रिप्लेस किया जाएगा.

UCC पर क्या है मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का रुख?

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग के सुझाव मांगे जाने को लेकर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है. बोर्ड ने कहा है कि भारत में इस तरह का कानून बनाने बेवजह देश के संसाधनों को बर्बाद करना है और यह समाज में वेवजह अराजकता का माहौल बनाएगा. मुस्लिम बोर्ड का कहना है कि इस समय यह कानून लाना अनावश्यक, अव्यहारिक और खतरनाक है.

मुस्लिम लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. एसक्यू आर. इलियास ने एक बयान में कहा था कि मुस्लिम लॉ बोर्ड में बनाए गये कानून मुस्लिमों की पवित्र किताब कुरान से ली गई है और उसमें लिखी बातों को काटने और बदलने की इजाजत खुद मुसलमानों को भी नहीं है. तो फिर सरकार कैसे एक कानून के जरिए इसमें दखलंदाजी कर सकती है. 

News
More stories
विदेशी मेहमानों ने ऋषिकेश में की गंगा आरती, सीएम धामी भी रहे मौजूद I