आपको बता दें कि सचिन ने एसिड को ऑनलाइन ऑर्डर करके मंगवाया था। सचिन अपनी साजिश को अंजाम देने में सफल भी हो गया लेकिन अब ये तीनों अपराधी पुलिस की हिरासत में है। पुलिस ने आगे की कार्यवाही शुरु कर दी है।
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कल दिल्ली के द्वारका में एक छात्रा के ऊपर दो युवकों ने एसिड अटैक किया था। यह घटना बुधवार को सुबह लगभग 7.30 बजे हुई थी। जब पीड़िता और उसकी छोटी बहन दोनों स्कूल जा रही थीं, तभी पीछे से बाइक पर दो लोग आए और पीड़िता के ऊपर एसिड अटैक को अंजाम दे कर चले गए। इस हमले में पीड़िता का चेहरा बुरी तरह से झुलस गया। एसिड, पीड़िता के आखों में भी चला गया है। एसिड अटैक को अंजाम क्यों दिया गया था? कल इसका खुलासा नहीं हुआ था। पर आज एसिड अटैक के पीछे का कारण पता लग गया है और ये दोनों युवक कौन थे? और इन दोनों ने छात्रा पर एसिड अटैक क्यों किया था? इसका भी खुलासा हो गया है।
पीड़िता की बहन ने दोनों आरोपितों के खिलाफ खुलासा करते हुए बताया गया कि ये दोनों सचिन और हर्षित हैं। ये दोनों दीदी को जानते थे। वारदात को अंजाम देने वाला मुख्य आरोपी सचिन है। बता दें, पीड़िता और सचिन आपस में पहले अच्छे दोस्त थे और दोस्ती धीरे -धीरे प्यार में बदल गई लेकिन एक महीने पहले ही किसी कारण वर्ष दोनों का ब्रेकअप हो गया था। जब पीड़िता ने आरोपी से बात करना बंद कर दिया था, तभी से आरोपी इस बात पर खफा होकर पीड़िता से बदला लेने की साजिश रच रहा था। आरोपी सचिन ने अपने दोस्त हर्षित अग्रवाल और वीरेंद्र के साथ मिलकर पूरी साजीश रची थी। जिसके बाद मुख्य आरोपी सचिन और हर्षित अग्रवाल बाइक पर सवार होकर साजिश को अंजाम देने चले गए। सचिन पीछे बैठा हुआ था और हर्षित बाइक चला रहा था, जैसे ही दोनों पीड़िता के पास पहुंचे सचिन ने पीड़ित के चेहरे पर एसिड फेंक दिया और वहां से फरार हो गए। पीड़िता की बहन के मुताबिक, पीड़िता सचिन से दोस्ती नहीं रखना चाहती थी।
आपको बता दें कि सचिन ने एसिड को ऑनलाइन ऑर्डर करके मंगवाया था। सचिन अपनी साजिश को अंजाम देने में सफल भी हो गया लेकिन अब ये तीनों अपराधी पुलिस की हिरासत में है। पुलिस ने आगे की कार्यवाही शुरु कर दी है।
स्वाति मालिवाल ने ट्विट कर कहा कि…

इस मुद्दे पर दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल ने ट्विट कर कहा कि द्वारका मोड़ के पास एक छात्रा पर तेजाब फेंका गया। पीड़िता की मदद के लिए हमारी टीम अस्पताल पहुंच रही हैं। बेटी को इंसाफ दिलाएंगे। दिल्ली महिला आयोग कई वर्षों से तेजाब को बैन करने की लड़ाई लड़ रही है। आखिर ये सरकार कब जागेंगी?
दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल ने ट्विट कर कहा कि…..

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मामले को लेकर कहा कि ये बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। अपराधियों की इतनी हिम्मत आखिर हो कैसे गई? अपराधियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। दिल्ली में हर बेटी की सुरक्षा हमारे लिए अति महत्तवपूर्ण है।
एसिड अटैक का ये हमला, पहला हमला नहीं है, इससे पहले भी ……….
लक्ष्मी अग्रवाल की कहानी

लक्ष्मी अग्रवाल दिल्ली की रहने वाली थीं। माध्यम वर्ग से ताल्लुक रखने वाली लक्ष्मी बहुत सुन्दर भी थी और खुशमिजाज भी थीं। इनका जन्म 1990 में 1 जून को हुआ था। लक्ष्मी अग्रवाल 15 वर्ष की थी। जब उन पर एसिड अटैक हुआ था। उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था, कि उनको इस विषम परिस्थिति से गुजरना पड़ेगा। कुछ मनचलों ने दिनदहाड़े उनके ऊपर एसिड अटैक कर दिया। जिससे उनको बहुत ही बुरी तरीके से नुकसान पहुंचा। परंतु इस सशक्त महिला ने अपने जीवन में हार नहीं मानी और आगे बढ़ने का निश्चय किया। अपनी परिस्थिति से उभरने के लिए उन्होंने खुद को सरवाइव करना सिखाया। आज यह महिला स्टॉप एसिड सेल और एक टीवी होस्ट के साथ-साथ एक भारतीय प्रचारक के रूप में दुनिया के सामने कार्य कर रही हैं।
लक्ष्मी अग्रवाल पर कब और किसने किया था ? एसिड अटैक

लक्ष्मी अग्रवाल जी के साथ 2005 में एसिड अटैक की घटना घटित हुई थी। वे कक्षा सातवीं में पढ़ती थी। इस छोटी सी उम्र में ही एक 32 वर्षीय व्यक्ति नईम खान उर्फ गुड्डु ने उनको शादी के लिए प्रपोज किया, परंतु लक्ष्मी ने उस व्यक्ति द्वारा दिए गए प्रपोजल को अस्वीकार कर दिया। 22 फरवरी 2005 को जब लक्ष्मी करीब 11:00 बजे दिल्ली के एक खान बाजार मार्केट से वापस लौट रही थी, तो उस युवक ने अपने छोटे भाई की गर्लफ्रेंड के साथ मिलकर इस घटना को अंजाम देने का सोचा। उसी दौरान उसके छोटे भाई की गर्लफ्रेंड ने लक्ष्मी को धक्का दिया, यह बयान खुद लक्ष्मी द्वारा दिया हुआ है। धक्का खाते ही लक्ष्मी अचानक से सड़क पर गिर गई और उस समय गुड्डु ने मौका पाते ही इनके शरीर पर एसिड अटैक कर दिया।
लक्ष्मी अग्रवाल पर एसिड फेंके जाने के बाद की कहानी उनकी ही जुबानी
लक्ष्मी ने अपने एक बयान में बताया कि उस दौरान लक्ष्मी ने अपनी आंखों को ढक लिया था, इसलिए उनकी आंखों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंच सका। लक्ष्मी ने बताया कि जिस दौरान उनके शरीर पर तेजाब पड़ा। उस समय उनको थोड़ा सा ठंडक महसूस हुई, परंतु कुछ सेकंड बाद ही उनको महसूस हुआ कि उनके शरीर में बहुत तेज जलन हो रही है। उन्होंने बताया कि, कुछ क्षणों में ही उनके चेहरे और कान के हिस्सों के मांस पिघल कर जमीन पर गिरने लगे और उनकी हड्डियों में भी जलन होने लगी। उन्होंने बताया कि 2 माह से अधिक उन्होंने इस दुखदायक परिस्थिति के साथ जूझते हुए राम मनोहर लोहिया अस्पताल में बिताया।

लक्ष्मी अग्रवाल बताती हैं, कि जब उनकी आंखों को डॉक्टर सिल रहे थे तब वह होश में थी। परंतु उनको यह नहीं समझ में आ रहा था , कि आखिर में उनके साथ यह क्या हो रहा है ? वह बताती हैं कि करीब 2 महीने से भी अधिक बाद जब वह घर लौटी तो घर के सभी आईने हटा दिए गए थे। लक्ष्मी जी ने कहा, कि कैसे भी करके उन्होंने अपने चेहरे को आईने में देख लिया। अपने चेहरे को आईने में देखते ही वह खुद बहुत डर गई और इतना ही नहीं उनको बहुत ही दुख हुआ। वह बताती हैं, कि उन्होंने उसी वक्त ठान लिया कि उनके जिंदगी का अब कोई मकसद नहीं रह गया है। अपने आपको अब खत्म कर लेना चाहिए, ऐसा उन्होंने अपने मन में निश्चय कर लिया था। वे बताती हैं, कि अपने माता-पिता के बारे में सोच कर उन्होंने आत्महत्या का विचार नहीं किया परंतु उन्होंने कहा, कि जीवन जीना इस परिस्थिति में इतना आसान उस वक्त नहीं था। वे बताती हैं, कि जब मैं कहीं बाहर या फिर घर के छत पर ही टहलने निकलती थी, तो लोग उनके चेहरे को देखकर अपने मुंह को फिर लेते थे, दयनी नजर से देख आगे बढ़ जाते थे। यहां तक कि कई लोगों ने उनको यह तक सलाह दे दी कि, अपने चेहरे को ढक कर रखा करो नहीं तो आजू- बाजू के बच्चे तुम्हारे चेहरे को देखकर डर जाएंगे। उन्होंने कहा, कि इस दुनिया में उन्हें एक बार नहीं अनेकों बार अपमान का सामना करना पड़ा था “और वे आज बताती हैं , कि मैं उन सभी लोगों का अत्यधिक शुक्रिया अदा करना चाहती हूं जिन्होंने मुझे अपमानित किया”। वह बताती हैं, कि लोगों द्वारा अपमानित होने एवं उनको घृणा से देखे जाने से ही उनके अंदर एक ऐसी जिद जागृत हुई, कि अब तो कुछ इस दुनिया को उनको करके ही दिखाना है। अपना नाम खुद के दम पर लोगों को याद दिलाना है। इस निर्दई दुनिया में सम्मान से जीने का अधिकार हर किसी को है और इसी को सोचकर उन्होंने खुद को खत्म करने का इरादा छोड़ दिया और आगे अपने जीवन में प्रगति पाने के लिए बढ़ चली गई वह कहती हैं, कि मैं उस सबसे एक बार जरूर मिलना पसंद करूंगी। जिसने मेरे शरीर को तो झुलसा पसंद दिया , परंतु मेरे सपने एवं जीवन में उजाले का दीप जला दिया।
लक्ष्मी ने स्टॉप एसिड अटैक अभियान को शुरू किया। उनकी मेहनत और उनके द्वारा शुरू किए गए स्टॉप एसिड अभियान से दुनिया भर के लोग जागृत होने लगे और इस तरीके के हमले से बचे हुए लोगों के लिए यह अभियान एक आवाज बन गई। इस अभियान के शुरू होने का इतना गहरा असर हुआ कि एसिड सेल पर अंकुश लग गई और इतना ही नहीं एसिड अटैक सर्वाइवर लोगों को सरकार ने पुरस्कृत भी किया था। लक्ष्मी जी ने जून 2014 में न्यूज एक्सप्रेस के एक टेलीविजन शो में “उड़ान” सीरियल की मेजबानी भी करते हुए नजर आई थी।

2014 में लक्ष्मी अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट में एसिड सेल की बिक्री में नए नियमों को लागू करने की मांग शुरू कर दी थी। इस याचिका के तहत उन्होंने यह कहा कि 18 वर्ष से कम उम्र का व्यक्ति एसिड नहीं खरीद सकता एवं खरीदने हेतु ग्राहक को किसी भी प्रकार का पहचान प्रमाण पत्र दुकानदार को देना आवश्यक होना चाहिए। लक्ष्मी अग्रवाल और एसिड अटैक से पीड़ित अन्य लोगों ने मिलकर एसिड अटैक पीड़ितों के पुनर्वास के लिए भी भूख हड़ताल जैसी योजनाओं में एकजुट होकर एक साथ खड़े रहे।

आज के समय में लक्ष्मी “छांव फाउंडेशन” नाम की एक गैर सरकारी एनजीओ का निर्देशन करते हैं। यह एनजीओ (NGO) एसिड अटैक से पीड़ित लोगों के लिए काम करती है। वर्ष 2014 में लक्ष्मी को यूनाइटेड स्टेट में मिशेल ओबामा ने इंटरनेशनल वूमेन ऑफ करेज के सम्मान से नवाजा और उसी वर्ष एनडीटीवी इंडियन ऑफ द ईयर (NDTV INDIAN OF THE YEAR) भी बनी।
छपाक मुवी लक्ष्मी अग्रवाल पर बनाई गई है

लक्ष्मी अग्रवाल के जीवन पर मेघना गुलजार ने “छपाक” नाम की मुवी बनाई है। फिल्म में लक्ष्मी का मुख्य किरदार दीपिका पादुकोण ने निभाया है। जिनके किरदार का नाम मालती है। दीपिका ने लक्ष्मी के किरदार में रम जाने के लिए अलग तरह का मेकअप का उपयोग किया था। मेकअप के बाद दीपिका जब लक्ष्मी के सामने आई थी, तो लक्ष्मी को एक पल के लिए लगा जैसे सामने आइना है। कहते है, फिल्म के आखिरी दिन शूटिंग के बाद दीपिका ने अपने मेकअप को जला दिया था। जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा हम हर फिल्म के आखिरी में अपने साथ कुछ लेकर जाते है, लेकिन इस फिल्म को करते समय मैंने लक्ष्मी के किरदार को इतने करीब से देखा है, की मेरी रूह काँप गई और में इसे अपने साथ नहीं रखना चाहती थी। फिल्म में सच में रही एसिड अटैक से पीढीत चार लड़कियों को भी दिखाया गया है।
6 अगस्त 2013, हनुमान सेतु मंदिर एसिड अटैक

6 अगस्त 2013 को एक लड़की दर्शन करने हनुमान सेतु मंदिर जा रही थी। उसी दौरान पेपर मिल महानगर कॉलोनी के सिरफिरे 55 साल के विष्णु नारायण शिवपुरी ने तेजाब फेंक दिया। पीड़िता के मुताबिक, शिवपुरी की देहरादून में उसके पिता से दोस्ती हो गई थी। घर आना जाना रहा। उसकी पढ़ाई के लिए शिवपुरी पीड़िता को बेटी बनाकर लखनऊ ले आया फिर जबरन शादी करने का दवाब बनाने लगा। परेशान होकर पीड़िता देहरादून लौट गई। तब शिवपुरी ने कोर्ट में फर्जी दस्तावेज लगाकर उसे पत्नी बताने की कोशिश भी की। दवाब काम न आया तो उसने तेजाब फेंक दिया।
1 फरवरी 2014, शहीद पथ एसिड अटैक

यह मामला 1 फरवरी 2014 का है। कानपुर की रहने वाली 17 साल की रेशम (परिवर्तित नाम) को याज अहमद चचेरा मामा ने चाकू का डर दिखाकर शहीद पथ ले गया और उसके चेहरे पर तेजाब फेंक दिया। तेजाब की जलन से रेशम चिल्ला उठी, फिर अचानक बंद आंखों से ही रियाज पर टूट पड़ी। एक ऑटो को रुकवाकर मदद मांगी। वहां लोग जुटने लगे तो रियाज भाग गया।
Written By : Khushboo