भारत में 8 घंटे का ब्लैकआउट हिट, “लूमिंग पावर क्राइसिस” की ओर इशारा

21 Apr, 2022
Deepa Rawat
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वर्ष 2022-23 में भारत की बिजली की आवश्यकता 1,650 बिलियन यूनिट होने का अनुमान है।

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा खपत वाला देश है। हालाँकि, 2000 के बाद से ऊर्जा का उपयोग दोगुना हो गया है, 80% मांग अभी भी कोयले, तेल और ठोस बायोमास द्वारा पूरी की जा रही है। पहले से ही प्रचंड गर्मी और कोयले की तीव्र कमी भारत के कुछ हिस्सों में ब्लैकआउट को ट्रिगर कर रही है, जिससे एक नए बिजली संकट की आशंका बढ़ गयी है जो एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकती है।

कोयला भारत के लिए बिजली उत्पादन का प्राथमिक स्रोत है क्योंकि कोयले का उपयोग देश की लगभग 70% बिजली उत्पन्न करने के लिए किया जाता है. वहीं, वर्ष 2022-23 में भारत की बिजली की आवश्यकता 1,650 बिलियन यूनिट होने का अनुमान है।

भारत के कई स्थानों पर आठ घंटे तक, ग्राहकों को इसके चलते परेशानी का सामना करना पड़ा. हालांकि, भारत में बिजली कटौती असामान्य नहीं है, लेकिन ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अनुसार इस साल की स्थिति विशेष रूप से “बढ़ते बिजली संकट” की ओर इशारा कर रही है. जहां अर्थव्यवस्था में और औद्योगिक उत्पादन में सुधार, मांग में वृद्धि का कारण बन रहा है, वहीं गर्मी की लहर भी बढ़ रही है।

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देश के कई हिस्सों में तापमान लगातार बढ़ रहा है, जिससे मौसम विभाग ने लू की चेतावनी जारी की है।

अतुल गनात्रा

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अतुल गनात्रा के अनुसार, देश के पश्चिमी और दक्षिणी हिस्सों में कुछ कपड़ा मिलों में बिजली की कमी ने परिचालन को रोक दिया है क्योंकि कपास की उच्च लागत उन्हें महंगे डीजल-संचालित जनरेटर और अन्य विकल्पों पर खर्च करने से रोकती है। उन्होंने कहा कि इससे कपास की खपत में भी भारी कमी आएगी।

वहीं, भारत में लगातार दूसरी बार बिजली गुल होने की संभावना बनी हुई है। बता दें, पिछली गर्मियों में एयर-कंडीशनर और रेफ्रिजरेटर का उपयोग करने वाले लोगों की उच्च मांग के कारण भारत में बिजली कटौती की भारी समस्या देखनी पड़ी थी.

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