यशवंत सिन्हा के ट्वीट के बाद राष्ट्रपति चुनाव के में कुछ चीजें साफ़ होती दिख रही हैं, वहीं दूसरी ओर सियासी गलियारों में ये चर्चा तेज हो गई है कि विपक्षी दलों के राष्ट्रपति पद के लिए वो सर्वसम्मति से उम्मीदवार हो सकते हैं.
नई दिल्ली: राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार के तौर पर 84 वर्षीय पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के नाम पर सहमति बन सकती है. आज दोपहर में विपक्षी दल राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने संयुक्त उम्मीदवार के नाम पर चर्चा करने के लिए बैठक कर रहे हैं. इससे पहले ममता बनर्जी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए पूर्व भाजपा नेता के ट्वीट ने स्पष्ट इशारा दे दिया है.
आज सबेरे अपने एक ट्वीट में यशवंत सिन्हा ने लिखा कि, टीएमसी में मुझे जो सम्मान और प्रतिष्ठा मिली, उसके लिए मैं ममता जी का आभारी हूं. अब समय आ गया है कि जब एक बड़े राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए मुझे पार्टी से अलग विपक्षी एकता के लिए काम करना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि मुझे यकीन है कि वह इस कदम को स्वीकार करेंगी. इस तरह से यशवंत सिन्हा ने टीएमसी छोड़ने का संकेत देते हुए राष्ट्रपति चुनाव का उम्मीदवार बनने की तरफ इशारा कर दिया है.
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यशवंत सिन्हा के इस ट्वीट के बाद राष्ट्रपति चुनाव के में कुछ चीजें साफ़ होती दिख रही हैं, वहीं दूसरी ओर सियासी गलियारों में ये चर्चा तेज हो गई है कि विपक्षी दलों के राष्ट्रपति पद के लिए वो सर्वसम्मति से उम्मीदवार हो सकते हैं. गौरतलब है कि कल महात्मा गांधी के पौते गोपालकृष्ण गांधी ने विपक्षी दलों के सर्वमान्य उम्मीदवार बनने से इंकार कर दिया था. उनके नाम का सुझाव पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिया था.
शरद पवार करेंगे बैठक की अध्यक्षता
शरद पवार के घर पर हुई बैठक से पहले तृणमूल कांग्रेस के नाम न बताने की शर्त पर एक शीर्ष नेता ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए संभावित विपक्षी उम्मीदवार के रूप में यशवंत सिन्हा के नाम का प्रस्ताव करने के लिए कुछ दलों से प्रस्ताव आए हैं. हालांकि, अब सब कुछ मंगलवार की बैठक की कार्यवाही पर निर्भर करेगा और बैठक में अन्य दलों द्वारा सुझाए गए नामों पर भी चर्चा होगी.

इन तीन दिग्गजों ने ठुकराया ऑफर
बीती तारीख 15 जून को तृणमूल कांग्रेस ने दिल्ली में विपक्ष की बैठक बुलाई थी, जिसमें सर्वसम्मति से विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में शरद पवार का नाम प्रस्तावित किया गया था. हालांकि, पवार ने इस प्रस्ताव यह कहकर ठुकरा दिया था कि वह अभी भारतीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाना चाहता है. उसके बाद ममता बनर्जी ने तब नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी के नामों को प्रस्तावित किया था. लेकिन इन दो अनुभवी नेताओं ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था.