दिल्ली के ललित होटल में वूमेंस डे धूमधाम से मनाया ऐसे समय में जब देश में सभी क्षेत्रों में लैंगिक समानता पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है, कई महिलाओं ने कानूनी प्रोफेशन सहित सभी क्षेत्रों में काफी शानदार प्रदर्शन किया है और कई प्रतिष्ठित प्रोफेशनल हैं जिन्होंने अपनी पूरी योग्यता के आधार पर इसे पूरी तरह से बड़ा बनाया है। भारत के सॉलिसिटर जनरल श्री तुषार मेहता ने शनिवार को ये बात कही।
सोसाइटी ऑफ इंडियन लॉ फर्म्स लेडीज ग्रुप (एसएलजी) द्वारा आयोजित ‘सेलिब्रेटिंग द वीमन इन द लीगल फर्टिनटी एंड देअर रिमार्केबल जर्नी’ (कानूनी प्रोफेशन में महिलाओं और उनकी उल्लेखनीय यात्रा का जश्न) कार्यक्रम में बोलते हुए सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से एक गलत धारणा फैलाई जा रही है कि महिलाएं कमजोर हैं। उन्होंने कहा कि वे स्वतंत्रता-पूर्व युग में कानूनी प्रोफेशन में महिलाओं की भागीदारी में विधायी बाधाएं थीं, जिन्होंने प्रोफेशन में उनके विकास और भागीदारी में बाधा उत्पन्न की की बात है
न्याय प्रशासन की प्रणाली पर बोलते हुए, सोसाइटी ऑफ इंडियन लॉ फर्म्स के अध्यक्ष, डॉ. ललित भसीन ने कहा कि 35% अधीनस्थ न्यायाधीश महिलाएं हैं और उच्च न्यायालयों के मामले में, यह 13% है और सर्वोच्च न्यायालय में सिर्फ तीन महिला जज बनी है