अलीगढ़ : उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले का नाम बदल कर हरिगढ़ करने की कवायद शुरू हो चुकी है। जिले के सभी पार्षदों ने इस बदलाव के लिए अपनी सहमति दे दी है। महापौर के माध्यम से अब यह प्रस्ताव शासन को अंतिम निर्णय के लिए भेजा जाएगा। अलीगढ़ के जनप्रतिनिधियों ने इसे सनातन परम्परा को आगे बढ़ाने का प्रयास बताया है। यह निर्णय सोमवार (6 नवम्बर, 2023) को लिया गया है।
अलीगढ़ के महापौर प्रशांत सिंघल ने ANI से इस बावत बात की है। उन्होंने बताया कि इस माँग को सोमवार को हुई मीटिंग में पार्षद संजय पंडित ने उठाया था। संजय ने इसका एक प्रस्ताव भी बैठक में पेश किया। अलीगढ़ को हरिगढ़ करने की माँग वाले इस प्रस्ताव को सभी पार्षदों ने सर्वसम्मति से स्वीकार भी कर लिया। महापौर के मुताबिक, अब इस प्रस्ताव पर शासन के अंतिम निर्णय की प्रतीक्षा है। साथ ही उन्होंने सकारात्मकता से आशा जताई कि शासन इस माँग को स्वीकार कर के अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ रखेगा।
हालांकि, सपा और कांग्रेस ने विरोध भी शुरू कर दिया है। पहले, सपा पार्षदों ने नगर निगम में विरोध जताया, फिर मेयर को ज्ञापन देकर एतराज जताया। मेयर से मुलाकात कर विरोध दर्ज कराया। वहीं, नगर निगम बोर्ड में पारित इस प्रस्ताव को अब शासन में भेजे जाने की तैयारी शुरू कर दी है।
इसे लेकर सपा पार्षदों का कहना है कि मेयर व नगर आयुक्त मनमर्जी कर रहे हैं। मेयर चंद पार्षदों को 11 से 15 हजार रुपये की राशि सम्मान में बांट रहे हैं तो क्या सपा के पार्षद सम्मान के योग्य नहीं हैं जो उनकी अनदेखी की गई है। इस दौरान आसिफ अल्वी, अकिल अहमद, उम्मेद आलम, विनीत यादव, गुलजार गुड्डू, सूफियान, विजेंद्र, शमीम अहमद, नदीम, गुलफाम अहमद, उस्मान आदि पार्षद शामिल रहे।-पार्षद संजय पंडित का यह सुझाव एजेंडे में शामिल था। एजेंडे की प्रति कई दिन पहले सभी पार्षदों को पहुंची थी। अगर उन्हें एतराज था तो वे इस सुझाव को अनसुना कर क्यों गए। अब इसे सदन ने पारित किया है। अधिवेशन के मिनिट्स में शामिल है। अब इसे नियमानुसार शासन को भेजा जाएगा। -प्रशांत सिंघल, मेयर
यह चुनावी फॉर्मूला है: जमीरउल्लाह
सपा के पूर्व विधायक जमीरउल्लाह का कहना है कि यह चुनावी फॉर्मूला है। उन्होंने कहा कि मीटिंग में ऐसा कोई न तो प्रस्ताव आया और न पारित हुआ। सपा के पार्षदों के सामने ऐसा नहीं हुआ। मीडिया में भाजपा पार्षदों ने झूठी खबर दी है। ये चुनाव को देखते हुए जनता को लुभाने का फार्मूला है।
‘भाजपाई पहले अलीगढ़ के इतिहास को पढ़ें’
वहीं कांग्रेस प्रदेश चिकित्सा प्रकोष्ठ की उपाध्यक्ष डा. ऋचा शर्मा ने कहा है कि अलीगढ़ की ऐतिहासिकता को नष्ट करने की इन हरकतों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। ये शहर मिली जुली संस्कृति के लिए दुनिया में जाना जाता है। सरकार ने नाम बदलने की ओछी हरकत की तो शिक्षा व व्यवसाय तथा संस्कृति तीनों को नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि भाजपाई पहले अलीगढ़ के इतिहास को पढ़ें। अलीगढ़ शब्द शुद्ध संस्कृत व हिन्दी शब्द अली जिसका अर्थ है सखी तथा गढ़ यानी किला से मिलकर बना है। भगवान कृष्ण की सखियों यानी गोपियों के लिए बना किला अलीगढ़ कहलाया। बाद में शहर कोल की बजाय अलीगढ़ कहलाया।
आसान नहीं है नाम बदलने की प्रक्रिया
देश में कई दशक से जिले और शहरों के नाम बदले जाते रहे हैं। हालांकि, किसी भी शहर या जिले का नाम बदलने की प्रक्रिया इतनी आसान नहीं होती है। इसके लिए कई प्रकार की प्रक्रियाओं से गुजरना होता है। बिना इन प्रक्रिया के कोई भी सरकार किसी भी शहर या जिले के नाम को नहीं बदल सकती है। नाम बदलने के लिए राज्य ही नहीं बल्कि केंद्र सरकार की भी सहमति लेनी होती है। किसी शहर का नाम बदलने के लिए सबसे पहले नगर पालिका या नगर निगम से प्रस्ताव पास होता है। इसके बाद प्रस्ताव राज्य कैबिनेट के पास भेजा जाता है। राज्य कैबिनेट में हरी झंडी मिलने के बाद नए नाम का गजट जारी किया जाता है। इसके बाद ही नए नाम की शुरुआत होती है। किसी भी जिले या शहर का नाम में बदलने में काफी रुपये भी खर्च हो जाते हैं। यह खर्च 200 करोड़ से लेकर 500 करोड़ रुपये तक भी हो सकता है।