मकर संक्रांति क्यों मनाते हैं, जानिए धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

13 Jan, 2022
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14 जनवरी, 2021 (शुक्रवार) मकर संक्रांति 2022 : वर्तमान शताब्दी में यह त्योहार अधिकतर जनवरी माह के चौदहवें दिन ही पड़ता है, इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करते है।यह पर्व भगवान सूर्य के पूजन का सबसे बड़ा पर्व है। देशभर में इसे बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। मकर संक्रांति का त्योहार नए वर्ष का पहला त्यौहार है जिसका हर किसी को बेसब्री से इंतजार रहता है। मकर संक्रान्ति हिन्दुओं का एक प्रमुख पर्व है। मकर संक्रांति मुख्य रूप में भारत और नेपाल में मनाई जाती है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते है तब इस पर्व को मनाया जाता है।

शुभ मुहूर्त :
14 जनवरी पुण्य काल का मुहूर्त 2 बजकर 12 मिनट से शाम 5 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। वहीं महापुण्य काल मुहूर्त की बात करें तो यह 2 बजकर 12 मिनट से 2 बजकर 36 मिनट तक रहेगा।

हमारे ज्योतिषाचार्य के अनुसार मकर संक्रांति शांतिदायक कार्यों को प्रारंभ करने के लिए ब्रह्म योग और अन्य सभी कार्यों के लिए आनंदादि योग शुभ होता है। वहीं, आनंदादि योग सभी प्रकार की असुविधाओं को दूर करता है। इस योग में किया गया प्रत्येक कार्य बाधाओं और चिंताओं से मुक्त रहता है।

मकर संक्रांति मनाने के पीछे का का कारण : हर त्योहार को मनाने के पीछे एक कहानी एक परंपरा होती है, लेकिन मकर संक्रांति के पीछे कोई एक विशेष कारण नहीं है। इसका एक कारण ये है कि इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और दूसरा है किसानों से जुड़ा। मकर संक्रांति किसानों के लिए भी बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है, क्योंकि इस दिन किसान अपनी फसल की कटाई करते है और इसी खुशी में इस त्योहार को मनाया जाता है।

मकर संक्रांति मनाने की पूजा विधि : मकर संक्रांति की पूजा के लिए सबसे पहले पूण्य काल मुहूर्त और महापुण्य काल मुहूर्त निकाल ले, और अपने पूजा करने के स्थान को साफ़ और शुद्ध कर ले। वैसे संक्रांति की पूजा भगवान सूर्य को समर्पित होती है। इसके बाद एक थाली में 4 काली और 4 सफेद तीली के लड्डू रखे जाते हैं। इसके बाद थाली में चावल का आटा और हल्दी का मिश्रण, सुपारी, पान के पत्ते, शुद्ध जाल, फूल और अगरबत्ती रख दिजिए।अब भगवान सूर्यदेव को प्रसाद का भोग लगाएं और उसके बाद आरती उतारें और सूर्य मंत्र ‘ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सह सूर्याय नमः’ का कम से कम 21 या 108 बार जाप करें।

मकर संक्रांति पर क्या दान करना चाहिए और क्या नहीं : मकर संक्रांति को दान के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है, तो जानिए इस दिन क्या दान करना चाहिए और क्या नहीं।संक्रांति दान में रखें विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दिन दान करने से घर में सुख समृद्धि आती है। इस दिन किए गए दान का महत्व जप, तप, श्राद्ध तथा अनुष्ठान आदि से दो-गुना होता है। इसलिए मकर संक्रांति पर तिल-लड्डू, चावल, उड़द की छिलकेदार दाल तथा मौसम वाली सब्जी, फल एवं सामर्थ्य के अनुसार वस्त्र, पात्र आदि का दान करने से अलौकिक फल की प्राप्ति होती है। इस दिन घृत और कंबल के दान का भी विशेष महत्व है। मकर संक्रांति को खिचड़ी भी कहते हैं, इसलिए इस दिन खिचड़ी खाने तथा खिचड़ी और तिल दान देने का विशेष महत्व माना जाता है।

मकर संक्रांति के दिन तिल और खिचड़ी का दान किसी निर्धन व्यक्ति या ब्राह्मण को अवश्य करें। माना जाता है कि इस दिन दिए गए दान का कभी भी क्षय नहीं होता। इस दिन शुद्ध घी एवं कंबल का दान करें। इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

गंगा स्नान एवं गंगातट पर दान करें। किसी पवित्र नदी में स्नान अवश्य करें। यदि आप ऐसा नहीं कर सकते तो अपने नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान अवश्य करें। तिल और गुड़ की बनी मिठाई बांटे। भगवान सूर्य के साथ भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और भगवान शिव की पूजा भी अवश्य करें।

इस दिन अपने पिता को कुछ न कुछ उपहार अवश्य दें और उनके चरण स्पर्श करके उनका आर्शीवाद भी अवश्य लें क्योंकि इस दिन सूर्यदेव शनिदेव की राशि मकर में गोचर करते हैं और शास्त्रों के अनुसार सूर्य देव भगवान शनि के पिता हैं। इस दिन चौदह चीजों का दान किया जाता है। यदि संभव हो सके तो किसी मंदिर में चौदह चीजों का दान अवश्य करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना वर्जित होता है और घर के बड़ों का अपमान भूलकर भी ना करें। विशेषकर पिता का नहीं, नहीं तो आपको सूर्यदेव के साथ – साथ शनिदेव के क्रोध का भी सामना करना पड़ सकता है।

मकर संक्रांति के दिन झाड़ू का दान नहीं करना चाहिए। इससे आपको दरिद्रता का सामना करना पड़ सकता है और भूलकर भी इस दिन काले रंग के वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए। इस दिन भूलकर घर में लहसुन, प्याज और मांसाहार का प्रयोग बिल्कुल भी न करें और घर के अंदर या बाहर किसी पेड़ की कटाई-छंटाई न करें। इसी के साथ भिक्षुक, साधु या बुजुर्ग को अपनी सामर्थ्य के अनुसार कुछ ना कुछ दान अवश्य करें।

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