Delhi:रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 28-29 अगस्त, 2021 को डिफेंस सर्विसेज़ स्टाफ कॉलेज (डीएसएससी), वेलिंगटन का दौरा किया। रक्षा मंत्री को डीएसएससी में दी जा रही पेशेवर सैन्य शिक्षा के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। उन्होंने संस्थान में भारत तथा विदेश के युवा अधिकारियों के प्रशिक्षण में किए गए परिवर्तनकारी परिवर्तनों तथा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए उन्हें प्रदान की जाने वाली पेशेवराना सैन्य शिक्षा को जोड़ने की प्रशंसा की। उन्होंने सशस्त्र बलों के अधिकारियों के साथ भी बातचीत की। इस अवसर पर थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे और लेफ्टिनेंट जनरल एमजेएस कहलों मौजूद थे।
77वें स्टाफ कोर्स में मुख्य भाषण देते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत सरकार द्वारा किए गए सुधारों के कारण देश दुनिया की बदलती सुरक्षा स्थितियों का सामना करने के लिए तैयार है, साथ ही उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि सशस्त्र बलों को हर समय पूरी तरह से सुसज्जित और तैयार रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “हम अपनी सेना को मजबूत करना जारी रखेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि बदलते वैश्विक सुरक्षा माहौल से उत्पन्न होने वाली किसी भी चुनौती से निपटने के लिए हम एक कदम आगे रहें।”
इनमें से कुछ सुधारों का उदाहरण देते हुए और उन्हें भविष्य के लिए अहम बताते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की नियुक्ति और सैन्य मामलों के विभाग की स्थापना सुरक्षा के बुनियादी ढांचे को लगातार मजबूत करने में एक लंबा रास्ता तय करेगी। उन्होंने कहा, “सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों ने हमारे सशस्त्र बलों को सीधे शासन प्रणाली से जोड़ा है क्योंकि अब उनकी सभी प्रक्रियाओं में प्रत्यक्ष भागीदारी है। सीडीएस की नियुक्ति ने जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी को स्थिरता प्रदान की है क्योंकि अब रक्षा एवं सुरक्षा के महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार के लिए एक स्थायी और एकल बिंदु सलाहकार है।”
संयुक्त कमान के गठन पर राजनाथ सिंह ने इस निर्णय को एक और बड़ा ढांचागत सुधार बताया जिसकी प्रगति तेजी से हो रही है। उन्होंने कहा, “एकीकृत थिएटर कमांड के गठन के साथ सशस्त्र बलों को संयुक्त रूप से लड़ने के लिए एकीकृत अभियानगत अवधारणाओं व सिद्धांतों को विकसित करना होगा। मुझे लगता है कि इस मुद्दे पर मंथन के लिए डीएसएससी एक अच्छा मंच साबित हो सकता है।”
रक्षा मंत्री ने सेना मुख्यालय के पुनर्गठन को रक्षा संरचनात्मक सुधारों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताया। “हमारी सेना के टीथ टू टेल रेशो को बढ़ाने का उद्देश्य निर्णय लेने में विकेंद्रीकरण लाना तथा भविष्य के दृष्टिकोण से चुस्त सैन्य बल बनाना है। डिप्टी चीफ ऑफ स्ट्रैटेजी के तहत ‘डीजीएमओ’ और ‘डीजीएमआई’ का एकीकरण ऐसा ही एक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि मुख्यालय स्तर पर यह एकीकरण हमारी अभियानगत योजना में बहुत सटीकता लाएगा।
राजनाथ सिंह ने मास्टर जनरल ऑफ ऑर्डिनेंस का नाम बदलकर मास्टर जनरल ऑफ सस्टेनेंस करने और ‘एकीकृत युद्ध समूहों (आईबीजी)’ पर विचार करने की भी बात कही जो त्वरित निर्णय लेने का मार्ग प्रशस्त करेगा। उन्होंने कहा, “दुश्मनों के खिलाफ एकीकृत लड़ने के लिए एकीकृत युद्ध समूह नए समूह होंगे। ‘टूर ऑफ ड्यूटी’ का विचार भविष्य में सशस्त्र बलों को और अधिक चुस्त बनाने के लिए एक गेम चेंजिंग सुधार में बदल जाएगा। रक्षा में महिला अधिकारियों के लिए स्थायी कमीशन राष्ट्रीय सुरक्षा में महिलाओं की भूमिका को बढ़ाने की दिशा में एक कदम है।”
सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण पर रक्षा मंत्री ने कहा कि राफेल के शामिल होने से अगली पीढ़ी के विमानों का लंबा इंतजार खत्म हो गया। उन्होंने कहा कि अर्जुन मेन बैटल टैंक, लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर, आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल के लिए काउंटर मेजर सिस्टम विकसित करना और एयर डिफेंस गन का आधुनिकीकरण हमारी सेना के आधुनिकीकरण के लिए उठाए गए अन्य कदम हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुसार ‘आत्मनिर्भर अभियान’ की प्राप्ति के लिए श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इनमें उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा औद्योगिक गलियारों की स्थापना; दो सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियों को अधिसूचित करना; रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी) 2020 का शुभारंभ और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन से मुफ्त प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण तथा रक्षा में नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास को प्रोत्साहित करने के लिए रक्षा उत्कृष्टता (आई-डेक्स) के लिए नवाचार का अनावरण शामिल है।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि एचएएल को निर्यात आदेशों के अलावा सशस्त्र बलों से लगभग 50,000 करोड़ रुपये का एकमुश्त ऑर्डर दिया गया है। रक्षा आधुनिकीकरण के लिए आवंटित कोष में घरेलू खरीद का प्रतिशत बढ़ाकर 64.09 प्रतिशत कर दिया गया है।राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बलों की सक्रिय भागीदारी का आह्वान करते हुए कहा कि इन सुधारों के अच्छे परिणाम के लिए रक्षा सेवाओं से सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता है।
रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि आजादी के बाद से कुछ बुरी ताकतों ने देश में अस्थिरता का माहौल निर्मित करने के लिए विभिन्न तरीकों का सहारा लिया है, लेकिन सशस्त्र बलों ने यह सुनिश्चित किया है कि देश की एकता और अखंडता बनी रहे। उन्होंने कहा, “जब हमारे पड़ोसी देश ने महसूस किया कि वह हमारे साथ युद्ध नहीं लड़ सकता है तो उसने छद्म युद्ध का सहारा लिया और आतंकवाद को अपनी राज्य नीति का एक अभिन्न अंग बना लिया । यह हमारे देश के सामने आने वाली चुनौतियों में एक बड़ा बदलाव था। इन बदलावों को ध्यान में रखते हुए हमने अपनी सुरक्षा संबंधी नीतियों में बड़े बदलाव किए हैं। एक नई सक्रियता से हमने आतंकवाद के खतरे के खिलाफ एक सक्रिय रवैया अपनाया है।”
आतंकी ठिकानों पर सीमापार से हमलों का जिक्र करते हुए श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इन हमलों ने प्रतिक्रियावादी मानसिकता को सक्रिय मानसिकता में बदल दिया है। उन्होंने कहा, “भारत की सीमा पर चुनौतियों के बावजूद लोगों को अब विश्वास है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। एक दृढ़ विश्वास है कि भारत न केवल अपनी जमीन पर आतंक का अंत करेगा बल्कि जरूरत पड़ने पर कहीं और आतंकवाद को खत्म करने से भी नहीं हिचकिचाएगा। यह बदलाव भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा के एक नए युग को परिभाषित करता है।”
2020 में गलवान घाटी की घटना पर रक्षा मंत्री ने कहा कि उत्तरी सीमा पर यथास्थिति को बदलने के एकतरफा प्रयास को भी एक नई सक्रियता के साथ निपटाया गया था। स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे के नेतृत्व में उत्तरी सीमा पर भारतीय सेना के जवानों के अनुकरणीय साहस की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, “हमारे सैनिकों ने दुश्मन की योजनाओं को विफल करने के लिए आवश्यकता पड़ने पर बहादुरी और संयम का प्रदर्शन किया।” उन्होंने राष्ट्र को आश्वासन दिया कि सुरक्षा बल किसी भी समय किसी भी स्थिति में किसी भी दुश्मन का सामना करने और देश की हर तरह से रक्षा करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।राजनाथ सिंह ने राष्ट्र की सेवा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों को भी श्रद्धांजलि दी।
साइबर युद्ध और जैविक हमलों पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा को भौगोलिक सीमाओं से जोड़ने की अवधारणा बदल गई है और वैश्विक शक्तियों का संरेखण और पुन: संरेखण होने से पहले से ही परिवर्तनशील सुरक्षा चुनौतियां बढ़ी हैं। उन्होंने कहा कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इन नए और उभरते खतरों से निपटने के लिए क्षमताओं को विकसित करने के लिए सभी प्रयास कर रही है ।
अफगानिस्तान के हालात को चुनौतीपूर्ण बताते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि बदलते समीकरणों ने हर देश को अपनी रणनीति पर सोचने पर मजबूर कर दिया है। उन्होंने कहा, “क्वाड, भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान का एक समूह इस पृष्ठभूमि के तहत बनाया गया है ।” श्री राजनाथ सिंह ने इस नए युग में राष्ट्रीय सुरक्षा के हर आयाम को एक फ्रेम में देखने की आवश्यकता पर बल दिया और आशा व्यक्त की कि डीएसएससी इन चुनौतियों से निपटने के लिए सशस्त्र बलों के भविष्य के अधिकारियों को प्रशिक्षित और सुसज्जित करेगी । उन्होंने विश्वास जताया कि अधिकारियों को इस तरह से प्रशिक्षित किया जाएगा कि वे देश के सामने किसी भी तरह की चुनौती का मुंहतोड़ जवाब देंगे।
राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि भारत ने अपनी क्षमताओं के बावजूद आज तक कभी किसी देश पर हमला नहीं किया है और हमेशा पूरी दुनिया को अपना परिवार माना है। यह हमारी नेबरहुड फर्स्ट नीति की भावना है, उन्होंने कहा कि भारत हमेशा आपदाओं के दौरान मानवीय राहत कार्यों में पड़ोसी देशों की मदद करने में सक्रिय रहा है। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भारत जहां शांति में विश्वास करता है, वहीं वह अपने लोगों के स्वाभिमान और हितों की रक्षा और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी मोर्चों पर हमेशा तैयार रहा है। उन्होंने देश को सभी प्रकार के बाहरी और आंतरिक खतरों से बचाने के लिए सरकार के संकल्प को दोहराया।
रक्षा मंत्री ने भारत की तीनों सेनाओं और मित्र देशों के अधिकारियों के भविष्य के नेतृत्व को संवारने में डीएसएससी की अनूठी भूमिका की सराहना की। उन्होंने डीएसएससी में प्रशिक्षण के लिए कठोर चयन प्रक्रिया के बाद चुने जाने के लिए छात्र अधिकारियों की सराहना की और उन्हें अपने मानसिक सीमाओं और युद्ध संबंधी समझ को व्यापक बनाने के लिए इस अनूठे अवसर का अधिकतम लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया।