उत्तराखंड में जल संकट: चिन्हित जल स्रोतों का नवीनीकरण

14 May, 2024
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उत्तराखंड, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और जल संसाधनों के लिए जाना जाता है, वर्तमान में एक गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है।

इस चुनौती से निपटने के लिए, राज्य सरकार ने मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के नेतृत्व में एक व्यापक पहल शुरू की है।

इस योजना के तहत, राज्य में सभी महत्वपूर्ण जल स्रोतों और सहायक नदियों का चिन्हीकरण और नवीनीकरण किया जाएगा।

देहरादून में, मुख्य विकास अधिकारी झरना कमठान इस पहल का नेतृत्व कर रही हैं।

उनके अनुसार:

20 जिलों में ब्लॉक स्तर पर 10 जल स्रोतों का चिन्हीकरण करने का लक्ष्य रखा गया था।

इस लक्ष्य को पार करते हुए, 68 जल स्रोतों और 20 सहायक नदियों का सफलतापूर्वक चिन्हीकरण किया गया है।

अब, इन चिन्हित जल स्रोतों के नवीनीकरण के लिए एक व्यापक योजना तैयार की जा रही है।

यह पहल जल संकट के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है।

जल स्रोतों के नवीनीकरण से:

भूजल स्तर में वृद्धि होगी, जिससे सूखे की स्थिति में पानी की उपलब्धता में सुधार होगा।

कृषि और घरेलू उपयोग के लिए पानी की कमी की समस्या कम होगी।

पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलेगी।

यह उम्मीद की जाती है कि राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई यह पहल दीर्घकालिक रूप से उत्तराखंड में जल सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जल संकट का समाधान केवल सरकारी प्रयासों तक सीमित नहीं है।

नागरिकों को भी जल संरक्षण के प्रयासों में सक्रिय रूप से भाग लेने और पानी का दुरुपयोग करने से बचने की आवश्यकता है।

केवल सामूहिक प्रयासों से ही हम उत्तराखंड में जल संकट को दूर कर सकते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए जल सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।

यहां कुछ अतिरिक्त बिंदु दिए गए हैं जो आपके लिए प्रासंगिक हो सकते हैं:

इस पहल के तहत, नवीनीकरण कार्यों में जल संरचनाओं का निर्माण, नदियों की सफाई, और वनीकरण शामिल हो सकते हैं।

राज्य सरकार जल संरक्षण और नवीनीकरण के लिए आधुनिक तकनीकों के उपयोग को भी बढ़ावा दे रही है।

जल संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए जन शिक्षा अभियान भी चलाए जा रहे हैं।

यह एक जटिल समस्या है जिसके लिए बहुआयामी समाधान की आवश्यकता है।

उत्तराखंड सरकार द्वारा शुरू की गई यह पहल सही दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

यदि हम सब मिलकर काम करें, तो हम इस चुनौती को दूर कर सकते हैं और उत्तराखंड को जल-सुरक्षित राज्य बना सकते हैं।

Shubham Kotnala

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