सारांश:
उत्तराखंड में 5 हिमनद झीलें अत्यधिक खतरे की श्रेणी में हैं।
गृह मंत्रालय के आपदा प्रबंधन विभाग ने इन झीलों का अध्ययन और निगरानी के लिए वैज्ञानिकों की टीमों का गठन किया है।
हिमालयी क्षेत्र में 188 हिमनद झीलें हैं, जिनमें से 13 उत्तराखंड में स्थित हैं।
इन झीलों को खतरे के स्तर के आधार पर ए, बी और सी श्रेणी में बांटा गया है।
ए श्रेणी में 5, बी श्रेणी में 4 और सी श्रेणी में 4 झीलें शामिल हैं।
जोखिम मूल्यांकन और सर्वेक्षण मई-जून 2024 में आयोजित किया जाएगा।
अर्ली वार्निंग सिस्टम और आपदा न्यूनीकरण के उपायों को जुलाई-अगस्त 2024 में लागू किया जाएगा।
विवरण:
गृह मंत्रालय के आपदा प्रबंधन विभाग ने उत्तराखंड में 5 हिमनद झीलों को अत्यधिक खतरे की श्रेणी में चिन्हित किया है। इन झीलों के विस्फोट से बाढ़, भूस्खलन और अन्य आपदाओं का खतरा बढ़ गया है। इन झीलों का अध्ययन और निगरानी के लिए वैज्ञानिकों की टीमों का गठन किया गया है।
हिमालयी क्षेत्र में 188 हिमनद झीलें हैं, जिनमें से 13 उत्तराखंड में स्थित हैं। इन झीलों को खतरे के स्तर के आधार पर ए, बी और सी श्रेणी में बांटा गया है। ए श्रेणी में सबसे अधिक खतरा वाली झीलें शामिल हैं, बी श्रेणी में मध्यम खतरा वाली झीलें शामिल हैं, और सी श्रेणी में कम खतरा वाली झीलें शामिल हैं।
ए श्रेणी की झीलें:
वसुधारा ताल, चमोली
अवर्गीकृत झील, पिथौरागढ़
मबन, पिथौरागढ़
अवर्गीकृत झील, पिथौरागढ़
युंगरू, पिथौरागढ़
बी श्रेणी की झीलें:
विष्णुगंगा, चमोली
भिलंगना, टिहरी
गोरीगंगा, पिथौरागढ़
कुथी यांग्ती वैली, पिथौरागढ़
सी श्रेणी की झीलें:
अज्ञात झील, गंगा
अज्ञात झील, गंगा
केदारताल, गंगा
देवीकुंड, गंगा
जोखिम मूल्यांकन और सर्वेक्षण:
जोखिम मूल्यांकन और सर्वेक्षण मई-जून 2024 में आयोजित किया जाएगा। इस प्रक्रिया में सेटेलाइट डेटा और बैथेमेट्री सर्वेक्षण शामिल होंगे।
अर्ली वार्निंग सिस्टम और आपदा न्यूनीकरण:
अर्ली वार्निंग सिस्टम और आपदा न्यूनीकरण के उपायों को जुलाई-अगस्त 2024 में लागू किया जाएगा।
महत्व:
यह खबर महत्वपूर्ण है क्योंकि हिमनद झीलों के विस्फोट से भारी तबाही हो सकती है। वैज्ञानिकों की टीमों का गठन इस खतरे को कम करने के लिए महत्वपूर्ण कदम है। लोगों को इस खतरे के बारे में जागरूक होना चाहिए और सुरक्षा के लिए आवश्यक सावधानियां बरतनी चाहिए।
अतिरिक्त जानकारी:
हिमनद झीलें ग्लेशियरों के पिघलने से बनती हैं।
इन झीलों में बड़ी मात्रा में पानी और मलबा होता है।
हिमनद झीलों के विस्फोट से बाढ़, भूस्खलन और अन्य आपदाओं का कारण बन सकता है।
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