Sardar Patel Unity March Uttarakhand 2025 : उत्तराखंड में देश के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर एक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस वर्ष 31 अक्टूबर से 152 किलोमीटर लंबी पदयात्रा शुरू होगी, जिसे “एकता मार्च” नाम दिया गया है। इस पदयात्रा का समापन नर्मदा नदी के किनारे स्थित विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर होगा। यह कार्यक्रम सरदार पटेल के जीवन और उनकी एकता को समर्पित है
एकता मार्च की रूपरेखा
यह पदयात्रा उत्तराखंड के देहरादून से शुरू होकर विभिन्न जिलों से गुजरते हुए गुजरात के नर्मदा जिले में स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर समाप्त होगी। पदयात्रा में हजारों युवा, विद्यार्थी, और समाजसेवी हिस्सा लेंगे, जिनका उद्देश्य देश में एकता और अखंडता का संदेश फैलाना है।मार्च के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे, जिसमें सरदार पटेल के आदर्शों और उनके योगदान को प्रदर्शित करने वाले नाटकों और गीतों का समावेश होगा।
सरदार पटेल का इतिहास
सरदार वल्लभभाई पटेल, जिन्हें “लौह पुरुष” के नाम से जाना जाता है, स्वतंत्रता के बाद भारत के विभिन्न रियासतों को एक करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी रणनीति और नेतृत्व ने भारत को एक मजबूत राष्ट्र बनाने में मदद की। उनकी 150वीं जयंती पर यह पदयात्रा उनके आदर्शों को पुनः जीवित करने और युवाओं में एकता की भावना को जाग्रत करने का प्रयास है।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, जो सरदार पटेल की 182 मीटर ऊँची प्रतिमा है, भारत की एकता और अखंडता का प्रतीक है। यह वास्तु शिल्प पर्यटन और शिक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण स्थल है। मार्च के अंतिम चरण में जब प्रतिभागी इस प्रतिमा के समक्ष पहुंचेंगे, उन्हें एकता और देशभक्ति का सशक्त संदेश मिलेगा। यह मार्च राष्ट्रीय एकता की भावना को मजबूत करने वाली पहल के रूप में देखी जा रही है।
सामाजिक और राष्ट्रीय महत्व
भारत जैसी बहुऔरसमाजीय और बहुभाषीय राष्ट्र में एकता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। इस पदयात्रा के माध्यम से सरकार और समाज दोनों यह संदेश देना चाहते हैं कि संदर्भों और मतभेदों के बावजूद, भारत एकता के सूत्र में बंधा हुआ है। युवा वर्ग को इसमें शामिल कर इसका प्रमुख लक्ष्य उनके मन में राष्ट्रीयता और समरसता को बढ़ावा देना है।
उत्तराखंड से शुरू हो रही यह 152 किलोमीटर लंबी एकता पदयात्रा सरदार पटेल के जीवन और संघर्ष की याद दिलाएगी। यह न केवल उनकी 150वीं जयंती को सम्मानित करेगी बल्कि देश में एकता, भाईचारे और राष्ट्रीय अखंडता के संदेश को फैलाएगी। मार्च का अंत स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर होगा, जहां सभी प्रतिभागी एकजुट होकर भारत के गौरव का जश्न मनाएंगे।