पाकिस्तान की राजनीति का आज अहम दिन है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार के खिलाफ विपक्ष आज नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पेश करेगा. सदन की कार्यवाही आज शाम 4 बजे से शुरू होगी.
नई दिल्ली: पकिस्तान की राजनीति में पिछले एक हफ्ते से घमासान मचा हुआ है, कहा जा रहा है कि पाकिस्तानी आर्मी के साथ भी इमरान के रिश्ते बिगड़ गये हैं. एक समय था जब इमरान खान, पाकिस्तानी सेना के साथ काफी करीबी हुआ करते थे. लेकिन इस बार उसी सेना ने उनके साथ बगावत कर दी है.
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शाम 4 बजे से शुरू होगी सदन की कार्यवाही
वही दूसरी तरफ पाकिस्तान की राजनीति का आज अहम दिन है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार के खिलाफ विपक्ष आज नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पेश करेगा. सदन की कार्यवाही आज शाम 4 बजे शुरू होगी. गृह मंत्री शेख राशिद का कहना है कि अगर सोमवार यानी आज सदन में अविश्वास प्रस्ताव पेश हो जाता है, तो 4 अप्रैल को इस पर मतदान होगा. बता दें कि पाकिस्तान में अविश्वास प्रस्ताव आने के 3 दिन बाद और 7 दिन से पहले वोटिंग होती है.
पाकिस्तान असेंबली में सीटों का खेल
वहीं पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, इमरान सरकार का जाना तय है, क्योंकि पाकिस्तानी संसद में उन्हें बहुमत के लिए 172 सांसदों की जरूरत है, लेकिन इमरान खान के करीब 39 सांसद बगावत कर चुके हैं. कहा ये भी जा रहा है कि सदन में अविश्वास प्रस्ताव पेश होने से पहले ही वे अपने पद से इस्तीफा भी दे सकते हैं. हालांकि, इस पर अभी सस्पेंस बना हुआ है.
पाकिस्तान असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव आने से पहले विपक्षी पार्टियों के एक दल पाकिस्तान डेमाक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) ने सोमवार को इस्लामाबाद में अपना शक्ति प्रदर्शन करने का ऐलान किया है. पीडीएम के शक्ति प्रदर्शन में जमियत-ए-इस्लाम फज्ल और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) भी शामिल होंगे. पीएमल-एन के उपाध्यक्ष मरियम नवाज और उनकी रिस्तेदार हमजा शहबाज ने लाहौर में एक बड़े मार्च का आयोजन किया था. ये मार्च सोमवार को इस्लामाबाद पहुंचेगा और विपक्ष की रैली में शामिल होगा.
पकिस्तान में सेना तटस्थ
देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि सेना अभी हर मामले में तटस्थ है. उनकी तरफ़ से बहुत ही सावधानी से काम लिया जा रहा है. पिछले तीन हफ़्ते से चल रहे इस सियासी घमासान पर उनकी तरफ़ से न कोई संकेत मिला और न ही कोई बयान आया है. 10 मार्च को पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ़्तिख़ार की तरफ़ से बहुत ही संतुलित बयान आया, जिसमें उन्होंने बस इतना कहा कि उनकी संस्था तटस्थ है और उसे राजनीति में नहीं घसीटा जाना चाहिए.
इमरान के ख़िलाफ़ विपक्ष हुआ एकजुट
प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के लिए उनके अपने तीन मुख्य और सबसे बड़े सहयोगी चौधरी शुजात हुसैन की पीएमएल-क्यू, कराची की मुत्ताहिदा क़ौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) और बलूचिस्तान अवामी पार्टी (बीएपी) का सार्वजनिक तौर पर नाराज़गी ज़ाहिर करना सबसे ख़तरनाक पहलू साबित हुआ. इन तीनों सहयोगियों ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि वे संसद में इमरान ख़ान का समर्थन करेंगे या नहीं. शुरू में जब इमरान सरकार अस्तित्व में आई थी तब इन तीनों पार्टियों ने ही इमरान को सहयोग दिया था लेकिन जब उन्हीं की पार्टी के सांसदों ने बगावत कर दिया है तो कुछ अटकलें सामने आ रही है कि ये तीनों पार्टी भी इमरान सरकार का साथ छोड़ सकती है, अगर ऐसा हुआ तो इमरान की सरकार अल्पमत में आ जाएगी. जिसके बाद हो सकता है कि इमरान को इस्तीफा भी देना पड़ सकता है.