आज सुबह से ही ट्विटर पर ‘Mafia Media Exposed’ करके एक हैशटैग ट्रेंडिंग लिस्ट में देखने को मिला. वहीं दीपक चौरसिया और चित्रा त्रिपाठी जैसे कई प्रसिद्ध पत्रकारों का नाम देख लोगों के मन में कई सवाल आयें.

नई दिल्ली: दरअसल, मामला आशाराम बापू से जुड़ा हुआ है. साल 2013 की 2 जुलाई को पालम विहार थाना क्षेत्र में रहने वाले एक व्यक्ति के घर पर आसाराम आए थे. इस दौरान उन्होंने परिवार के सभी सदस्यों के साथ उनकी 10 वर्षीय भतीजी को भी आशीर्वाद दियालेकिन घर में हुए इस कार्यक्रम की वीडियोग्राफी को एक नया रूप देकर वायरल कर दिया गया। आसारामबापू पर लगे आरोपों के बाद कई टीवी चैनलों और पत्रकारों ने इस वीडियो को अपने चैनेल पर प्रसारित किया।

प्रसारित कार्यक्रम में पीड़िता पक्ष के पारिवारिक घर को अश्लीलता का अड्डा बताकर पेश किया गया। जिसके बाद मामले को लेकर परिजनों ने आरोप लगाया कि मीडिया ने वीडियो को तोड़ मरोड़ कर अभद्र व अश्लील तरीके से प्रसारित किया जिससे उनकी और पूरे परिवार की इज्जत धुल में मिल गई. वहीं, परिवार और मासूम बच्ची को मीडिया के लापरवाही की वजह से सामाजिक व मानसिक कष्ट झेलना पड़ा।

परिजनों ने गुड़गांव के पालम विहार थाने में 15 दिसंबर 2013 को कई पत्रकारों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत मामले की शिकायत दर्ज कराई जिसमे दीपक चौरसिया, चित्रा त्रिपाठी, अजीत अंजुम, मोहम्मद सोहेल उर्फ शाहिद, राशिद, ललित सिंह, सुनील दत्त, अभिनव राज जैसे नाम शामिल हैं। लेकिन ‘पुलिस’ आरोपियों पर कार्रवाई करने में कतरा रही थी जिससे यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। 

हालाँकि, जनजागरण मंच जैसे अन्य संगठनों का साथ मिलने से पीड़िता पक्ष को अंततः न्याय मिलने की उम्मीद नजर आई जब पॉक्सो न्यायालय ने इन पत्रकारों को अदालत में हाजिर होने के लिए सम्मन जारी किया गया. सुनवाई की आगामी तारीख 25 जनवरी 2022 को रखी गयी जिसमे सभी आरोपियों को न्यायालय के समक्ष पेश होना था। लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति डीपी सिंह और मोहम्मद ताहिर ने टीवी पत्रकार दीपक चौरसिया की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी. बता दें, चौरसिया, जो हिंदी समाचार चैनल के प्रधान संपादक हैं, ने अपने खिलाफ दर्ज कराई गई प्राथमिकी को चुनौती देते हुए अदालत का रुख किया था।

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पीड़िता को न्याय दिलाने के प्रयासों में जुटी सामाजिक संस्था जन- जागरण मंच के अध्यक्ष हरिशंकर कुमार ने यहाँ तक कह दिया था कि इस केस में कोई उम्मीद की किरण नही दिख रही क्योंकि पुलिस ने आरोपियों को बचाने के लिए दो बार केस बंद कर दिया था। जिसके बाद मामले को चंडीगढ़ उच्च न्यायालय में ले जाया गया जिसके बाद कार्यवाही फीर से शुरू हुई। वहीं, आरोपी दीपक चौरसिया के खिलाफ, पुलिस जाँच में सहयोग न करने को लेकर IPC की एक अन्य धारा अलग से लगाई गई है।

इसके अलावा अन्य आरोपि रविंद्र शर्मा, कार्तिकेय शर्मा, राजीव शुक्ला, गोपाल कांडा, अनुराधा प्रसाद के खिलाफ जाँच जारी है।

हालांकि, चौरसिया ने अपने खिलाफ लगाये गये आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उनके कार्यक्रम में “सच्चाई” दिखाया गया था और आसाराम के खिलाफ जांच से संबंधित किसी अन्य दस्तावेज के साथ चैनल ने कोई “छेड़छाड़” नही की थी। बता दें, कोर्ट ने फीर से वारंट जारी करते हुए सभी आरोपियों को 25 फरवरी को उपस्थित होने को कहा है.