आज जनता कर्फ्यू के दो वर्ष पूरे हो गये हैं, आज से एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लगाने का ऐलान किया था ये कर्फ्यू 14 घंटे का था. सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक

नईदिल्ली: खबरों के अनुसार दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर में कोरोना वायरस का पहला केस पाया गया था इसलिए इस महामारी को कोविड-19 के नाम से जाना गया. चीन के वुहान शहर की मछली मार्किट से पहला केस आया जब चीन की सरकर को पता चला तो उसने सबसे पहले वुहान शहर की मार्किट में आटीपीसीआर टेस्ट करवाए थे उसी दौरान कोरोना के लक्षण पाए गए. ये वही लक्षण थे जो  हमें वर्ष 1972 में दक्षिण अफ्रीका के एक इन्फ्लुन्जा में मिले थे.

कोरोना वायरस

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भारत में में पहला आधिकारिक केस 30 जनवरी को आया था. जब ये केस आया तो  भारत के डॉक्टर और स्वास्थ्य मंत्रालय को इस बात की चिंता सताने लगी की भारत में ये वायरस तो पैदा नहीं होने लगा है. लेकिन ऐसा नहीं था ये केस वही नथी जो भारत के नागरिक किसी अन्य देश में रहते हो और वह वहां से संक्रमित होकर आ रहे थे. शुरू में भारत सरकार ने कुछ विशेष ध्यान तो नहीं दिया था लेकिन उसके बाद पुणे बायरोलोजी लैब में टेस्ट हो रहे थे. लेकिन धीरे-धीरे भारत सरकार ने देश के हर राज्य में एक लैब को विकसित किया.

जब 30 जनवरी को पहला केस आया तो उस वक़्त भारत में सबकुछ सामान्य सा था. लेकिन जब धीरे-धीरे कोरोना के केस में  वृद्धि होने लगी तो इसको लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय और भारत सरकार को भी चिंता होने लगी. भारत में जो हेल्थ विशेषज्ञ थे उन्होंने भारत सरकार को सलाह देनी शुरू कर दी थी वह इसपर विशेष ध्यान देना शुरू आकर दे. चीन ने कैसे इन केसों को रोका है. वैसे ही भारत को भी करना होगा. और 21 तारिख को प्रधानमंत्री ने देश के नाम संबोधन में ऐलान किया कि भारत में 22 तारीख देश में जनता कर्फ्यू लगया जयेगा. ये कर्फ्यू 14 घंटे का था सुबह 7 बजे से शाम 9 बजे तक था लेकिन ये कर्फ्यू सख्ताई से नहीं लगाया गया था बल्कि जनता खुद ही अपने ऊपर प्रतिबन्ध लगाएं और वह अपने घर में ही रहें.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के नाम संबोधन में जनता कर्फ्यू का ऐलान करते हुए

22 तारीख की शाम को प्रधानमंत्री मोदी एक-बार फिर देश के नाम संबोधन देने आये तो उन्होंने कहा कि देश में लगभग जनता कर्फ्यू कामयाब रहा है. प्रधानमंत्री जी ने आगे कहा कि हमारे स्वास्थ्य कर्मी और सलाहकारों ने सलाह दी है कि वह आज से ही इस देश के अन्दर लॉकडाउन को लगा दे ताकि देश के अन्दर जो केसों की वृद्धि हो रही है उसको रोका जा सके. भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने 22 दिन का लॉकडाउन  लगाने की घोषणा कर दी. लेकिन ये मात्र जनता कर्फ्यू नहीं था बल्कि सख्ताई से लगाया गया कर्फ्यू था जहाँ जनता पर कुछ जुर्माने भी लगाये गये. इसके बाद 14 अप्रैल सुबह 10 बजे को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए लॉकडाउन की अवधि को आगे बढ़ाकर 3 मई करने का फैसला लिया और कहा कि अगले एक हफ्ते नियम और सख्त होंगे. साथ ही मोदी जी ने कहा कि जहां नए मामले सामने नहीं आएंगे वहाँ कुछ छूट दी जाएगी. 17 मई को गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन को 31 मई तक बढ़ाने की घोषणा की. 30 मई को देशभर में लॉकडाउन के पांचवें चरण की घोषणा की गयी.

लॉकडाउन के दौरान जनता पर सख्ताई

लॉकडाउन के दौरान लोगों को अपने घरों से बाहर निकलना निषेध किया गया था. सभी परिवहन सेवाओं, सड़क, वायु और रेल को निलंबित किया गया था हालांकि अग्निशमन, पुलिस और स्वास्थ्य कर्मियों को  जरूरी सामान और आपातकालीन सेवाओं का उपयोग किया जा सकेगा. शैक्षिक संस्थानों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों और आतिथ्य सेवाओं को भी निलंबित कर दिया गया. खाद्य दुकानें, बैंक और एटीएम, पेट्रोल पंप, अन्य आवश्यक वस्तुएं और उनके विनिर्माण जैसी सेवाओं को छूट दी गई थी. गृह मंत्रालय ने कहा कि जो व्यक्ति लॉकडाउन का पालन नहीं करेंगे उन्हें एक साल तक की जेल भी की जा सकती है.

लॉकडाउन के दौरान भारत ने 1897 में उन कानूनों का इस्तमाल किया था जब भारत, ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन था  उस वक़्त भारत में प्लेग की बीमारी फैली थी तब अंग्रेजी सरकार ने संविधान में संशोधन कर अनुच्छेद 188 कानून अस्तित्व में लाई. इस कानून के तहत सभी लोग घरों में  बंद रहेंगे ताकि महामारी फैले न और सरकरी संस्थाओं से जुड़े कर्मी छोड़ कर न जाए अगर वह जाते है तो उनको 6 वर्ष का कारावास और जुर्माना लगाया जाएगा. इस कानून का इस्तमाल लगभग 120 वर्ष इस कारों महामारी में हुआ जहाँ लोगों को बंद रखा गया और जो स्वास्थ्य और सरकारी संस्था से जुड़ा हुआ कर्मी है वह छोड़ कर नहीं जा सकता, और अगर कोई व्यक्ति कहीं घूमता हुआ दीखता है तो उस धारा 188 कानून के तहत केस चलाया जाएगा जहाँ उसको एक वर्ष की सजा और जुर्माना देने का प्रावधान है.

जनता कर्फ्यू के बाद देश की जनता में भय बैठ गया था उस वक़्त देश के प्रधानमंत्री मोदी हमेशा देश के नाम संबोधन देने आया करते थे और उस संबोधन में देश के लोगों का हौसला बढ़ाया करते थे अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने एक बार कहा कि आज हम सबसे मुश्किल समय में आ गए हैं. जहाँ हमें कठिन परीक्षा देनी है और इस परीक्षा को हम धैर्य के माध्यम से ही दे सकते हैं हमको अपने घर में ही रहना है साथ ही हमें अपने घर के बुजुर्गों को सबसे ज्यादा ध्यान रखना है क्योंकि ये वायरस सबसे ज्यादा बुजुर्ग लोगों को ही प्रभावित कर रहा है ऐसे में हमें सबसे ज्यादा अपने घर के बुजुर्ग लोगों को सुरक्षित रखना है.

प्रधानमंत्री ने बढ़ाया स्वास्थ्य कर्मियों का हौसला

प्रधानमंत्री जब भी, कभी देश के नाम संबोधन देने आते तो वह कोई न कोई एक सन्देश जरुर देकर जाते. जनता कर्फ्यू के एक हफ्ते बाद मोदी जी ने जनता से कहा की आज हम एक कठिन समय से गुजर रहे है इस अँधेरे भरे समय को हम एक उजाला और उगते हुए सूरज के रूप मनाएंगे हमें आज रात 9 बजकर 9 मिनट पर घरों की लाइट बंद कर अपने मोबाइल की टॉर्च और दीपक जलाये ताकि इस पल को अँधेरे नहीं बल्कि एक उगते हुए सूरज के रूप में याद रखें. स्वास्थ्य कर्मियों का बढ़ाया मान, प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दूसरे संबोधन में देश की जनता से प्रार्थना की कि वह हमारे कोरोना वारियर के सम्मान में अपनी बालकनी में खड़े होकर थाली-ताली बजाकर उनका आभार व्यक्त करें और देश के हर एक व्यक्ति ने इस सन्देश  को समझा और सभी ने कोरोना वारियर का आभार व्यक्त करते हुए उनके लिए ताली और थाली बजाकर उनका शुक्रियादा अदा किया.

प्रधानमंत्री की आवाहन पर देश के लोगों ने स्वास्थ्य कर्मियों का आभार व्यक्त किया