श्रीलंका के कोलंबो शहर में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में सदस्य देश “बिम्सटेक चार्टर” को अपनाएंगे. इसके जरिए बिम्सटेक को “अंतर्राष्ट्रीय पहचान” देने की कोशिश भी होगी. साथ ही औपचारिक रूप से इसके उद्देश्यों और सिद्धांतों को परिभाषित किया जाएगा.

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका की अगुवाई में आयोजित 7 देशों के बिम्सटेक (बहु-क्षेत्रीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल) शिखर सम्मेलन को वर्चुअली संबोधित किया हैं. डिजिटल माध्यम से आयोजित इस सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा कि चुनौतीपूर्ण माहौल में क्षेत्रीय सुरक्षा बहुत जरूरी है. श्रीलंका में चल रहे पांचवें शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि उद्योगपतियों और स्टार्टअप के बीच तालमेल बनाना होगा.

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, बिम्सटेक देशों को संबोधित करते

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पाकिस्तान के रवैये पर दक्षिण एशियाई देशों का संगठन (साउथ एशियन एसोसिएशन रीजनल ऑफ़ कारपोरेशन)  सार्क पूरी तरह से निष्क्रिय है लेकिन इसका एक फायदा यह होता दिख रहा है कि आतंकवाद के खिलाफ इस क्षेत्र के अधिकांश देशों के बीच एक सोच बन रही है. इसका संकेत मंगलवार को श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में बिम्सटेक के विदेश मंत्रियों की बैठक में मिला. बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सातों सदस्य देशों (भारत, श्रीलंका, म्यांमार, बांग्लादेश, भूटान, थाइलैंड व नेपाल) से आतंकवाद और हिंसक कट्टरता के खिलाफ सामूहिक नीति बनाने का आह्वान किया है.

बिम्सटेक सदस्य देशों के फ्लैग

बिम्सटेक सदस्य देशों का लक्ष्य

बिम्सटेक की शिखर बैठक के अंत में वर्तमान “बिम्सटेक” के अध्यक्ष श्रीलंका, इस पद की ज़िम्मेदारी थाईलैंड को देंगे. बिम्सटेक, बंगाल की खाड़ी के देशों पर केंद्रित एक क्षेत्रीय सहयोग मंच है. इसका विकास भारत के प्रयास पर जून 1997 में ‘बिस्ट-ईसी’ समूह (बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड के आर्थिक सहयोग) की स्थापना के साथ शुरू हुआ था. बाद में म्यांमार 1997 में, नेपाल और भूटान 2004 में प्रवेश के बाद वर्तमान ‘बिम्सटेक’ समूह गठित हो गया.

श्रीलंका के कोलंबो शहर में बिम्सटेक कोलंबो शिखर सम्मेलन में सदस्य देश “बिम्सटेक चार्टर” को अपनाएंगे. इसके जरिए बिम्सटेक को “अंतर्राष्ट्रीय पहचान” देने की कोशिश होगी. साथ ही औपचारिक रूप से इसके उद्देश्यों और सिद्धांतों को परिभाषित किया जाएगा. इसके साथ ही बिम्सटेक का बुनियादी संस्थागत ढांचा को तैयार किया जाएगा, जिसके माध्यम से यह समूह काम करेगा.

बिम्सटेक के सदस्य देशों के प्रधानमंत्री

बिम्सटेक स्थापना की 25वीं वर्षगांठ के इस वर्ष में उम्मीद है कि इस समूह के विस्तार पर भी विचार होगा. बिम्सटेक के सदस्य देश इस समूह की क्षमता को भलीभांति जानते हैं और इस बात को मानते भी हैं कि इस समूह ने अभी भी अपनी पूरी संभावना को हासिल नहीं किया है. सभी देश इस कड़ी में भारत से अगुवाई की अपेक्षा करते हैं. भारत की ‘एक्ट ईस्ट’, ‘नेबरहुड फर्स्ट’ और ‘इंडो पैसिफिक’ रणनीतियों ने भारतीय प्राथमिकताओं को स्पष्ट किया है.