नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश का माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की 15 अप्रैल की देर शाम प्रयागराज में मेडिकल कॉलेज के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई। बता दें कि इससे पहले 13 अप्रैल को ही उसके तीसरे बेटे असद अहमद और उसके सहयोगी शूटर गुलाम के शव को दफना गया था। शनिवार देर शाम जिस तरह से तीन शूटरों ने सरेआम अतीक-अहमद हत्याकांड को अंजाम दिया। उसके बाद से ही कई सवाल खड़े हुए हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस और (STF) की टीम इस हाइप्रोफाइल हत्याकांड की अलग- अलग एंगल से जांच कर रही हैं। पर, इससे अलग सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन तीनों बदमाशों ने अतीक अहमद और अशरफ की हत्‍या क्‍यों की? अतीक और अशरफ की हत्या करने के पीछे उनका मकसद क्या है ?

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अतीक अहमद और अशरफ की हत्या का दहलाने वाला LIVE वीडियो | LIVE killing video  of Atiq Ahmed and Ashraf murder Uttar Pradesh Prayagraj - Hindi Oneindia

ऐसे बहुत- से सवाल हैं, जिनका जवाब जांच पड़ताल और हत्‍यारों से पूछताछ में सामने आयेगा, लेकिन इस हत्‍याकांड में शक की सुई ISI से लेकर अधिकारी और अतीक के दुश्‍मनों की तरफ घूम रही है कि किसे अतीक और अशरफ की हत्‍या से फायदा हो सकता है? और किसे अतीक और अशरफ के जिंदा रहने से नुकसान था?

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चूंकी, अतीक के खिलाफ सौ से ज्यादा आपराधिक मुकदमे दर्ज थे। जिसमें वह गुंडा, हत्यारा, माफिया, गैंग लीडर, हिस्ट्रीशीटर के साथ-साथ आतंक का दूसरा नाम भी था। उसने सबसे पहले साल 1979 में पहला कांड किया था। तब से अब तक वह सैकड़ों मामलों में नामजद था। उससे जुड़े करीब 54 आपराधिक मामलें यूपी के अलग-अलग थानों में दर्ज थे। अतीक पर हत्या के प्रयास, अपहरण, रंगदारी और धमकी देने जैसे कई गंभीर आरोप में केस दर्ज थे। वहीं, बीते महीने 28 मार्च को प्रयागराज की MP-MLA कोर्ट ने अतीक अहमद को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

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वहीं,अतीक के बाद उसके ‘आतंक के कारोबार’ का सबसे बड़ा सहयोगी उसका छोटा भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ था। अशरफ पर तकरीबन 52 केस दर्ज थे। इसमें अपहरण, रंगदारी, हत्या, हत्या की कोशिश, हत्या के लिए साजिशकर्ता, धमकाना जैसे आपराधिक मामले दर्ज हैं। अशरफ को भी हाल में उमेश पाल हत्याकांड में साजिश रचने के मामले में पुलिस ने आरोपी बनाया था।

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अब ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते है कि अतीक और अशरफ कितने सैकड़ों परिवार के दुश्मन रहे होंगे तो क्या किसी पुरानी रंजिश के चलते किसी परिवार ने अतीक और अशरफ की हत्या करवाई और जिस तरीके से तीनों शूटरों ने अतीक और अशरफ की हत्‍या करने के बाद धार्मिक नारे लगाये, उससे भी शक पैदा होता है कि उन्होंने ऐसा किस मकसद से किया? क्‍या उन्‍होंने ऐसा किसी सोची समझी रणनीति के तहत किया? क्‍या उन्‍हें ऐसा करने के लिये कहीं से निर्देशित किया गया था? क्‍या जानबूझकर प्रदेश का माहौल खराब करने के लिए नारे लगाये गये? क्‍या ये नरेटिव सेट करने के लिये नारे लगाये गये कि एक धर्म विशेष के लोगों को दूसरे धर्म के लोगों द्वारा इस सरकार में प्रताड़ित किया जा रहा है? अब सवाल यह उठता है कि आखिर इन शूटरों की हरकत से किसे लाभ मिल सकता था?

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बता दें,अतीक और अशरफ से पुलिस पूछताछ में पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी ISI के जरिए पंजाब में पाकिस्‍तान सीमा पर हथियारों की आपूर्ति लेने की बात सामने आई थी। अतीक ने लश्‍ कर-ए-तोइबा से संबध होने की बात भी कबूली थी। एटीएस अतीक और अशरफ को पंजाब ले जाकर उन जगहों की तफ्तीश करना चाहती थी। एटीएस पंजाब से संचालित ISI के नेटवर्क को पकड़ने के बेहद करीब थी। अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि कि इस नेटवर्क के पकड़े जाने से सिंडिकेट में शामिल किसी माफिया, नेता या अधिकारी का भेद खुल जाने का डर था, जो अतीक-अशरफ की मौत के बाद टल गया?

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अतीक अहमद को कई राजनीतिक दल, सफेदपोश नेताओं और अधिकारियों का संरक्षण भी मिला हुआ था। इसी संरक्षण के बल पर अतीक ने दूसरे लोगों की जमीनों पर अवैध कब्‍जा करके प्रापर्टी डीलरों और बिल्‍डरों का एक बहुत बड़ा नेटवर्क खड़ा कर लिया था। संभव है कि इस नेटवर्क में नेताओं के साथ अधिकारियों के भी पैसे लगे हुए हों। पुत्र असद की मौत के बाद अतीक टूट चुका था, तो क्‍या ऐसे किसी दल, नेता या अधिकारी को डर था कि अब अतीक उनका राज पुलिस के सामने खोल सकता है?

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यह सवाल इसलिये उठ रहे हैं कि शुरुआती जांच में तीनों शूटरों (लवलेश तिवारी, अरुण मौर्य और शनि सिंह) के जो पारिवारिक बैकग्राउंड सामने आये हैं, उनमें किसी की भी हैसियत लाखों रुपये के महंगे असलहे खरीदने की नहीं है। बेहद साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले इन शूटरों के पास महंगे दाम वाली 9 एमएम इटैलियन और टर्किश पिस्‍टल कहां से आये? जो पिस्‍टल इनके पास से मिली है, वह पिस्‍टल क्रास बॉर्डर से ही देश में लायी जा सकती है? खासकर पाकिस्‍तानी सीमा से।

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बता दें, अतीक और अशरफ की हत्‍या करने वाले तीनों शूटर ऐसे अपराधी हैं जो अतीत में जेल जा चुके हैं। भले ही तीनों शूटरों ने अपने बयान में यह कहा कि वह डॉन को मारकर बड़ा डॉन बनना चाहते थे लेकिन उनकी यह बात कुछ हजम नहीं होती। इसके अलावा ऐसे में यह मान लेना कि तीनों शूटर, जो यूपी के अलग-अलग जिलों से आते हैं, केवल अतीक और अशरफ को उनके किये की सजा देने आये थे, मूर्खता होगी।

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