हेमकुंड साहिब यात्रा मार्ग में अटलाकुड़ी से हेमकुंड साहिब तक बहुत बड़ा ग्लेशियर का एक हिस्सा इस वर्ष भी पसरा हुआ है. जिसे हटाने के लिए यहां हर वर्ष भारतीय सेना के जवान आते हैं और ग्लेशियर के बीचो-बीच रास्ता काट कर हेमकुंड साहिब की यात्रा शुरू करते हैं.
नई दिल्ली: मानव जाति ने पर्वयावरण को काफी नुकसान पहुँचाया है उसनें पर्यावरण को दुर्बल कर दिया है किसी न किसी जगह से आग लगने, बाढ़ आने और ग्लेशियर टूटने की खबरे आती रहती है ऐसे ही अब पहाड़ों पर ग्लेशियर पिघलते है तो वह समुद्र के पानी का स्तर बढ़ा देता है जिससे वह बाढ़ का भी कारण बनता है. इस समय पहाड़ों में भी अचानक मौसम करवट बदल लेता है. अब तो पहाड़ों में भी गर्मी का एहसास हो रहा है. उच्च हिमालय क्षेत्र में भी बढ़ते तापमान के असर से ग्लेशियर टूटने की तस्वीर सामने आ रही है. गर्मी आने के साथ ही अब हेमकुंड साहिब यात्रा मार्ग के पास बर्फ पिघल रही है और पिघलती हुई बर्फ नदी में बहती हुई दिख रही है.

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सिखों के पवित्र तीर्थ स्थल और दुनिया की सबसे ऊंचाई पर स्थित गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब की यात्रा इन दिनों तैयारियां जोरों से चल रही है. जहां भारतीय सेना के जवान हेमकुंड साहिब मार्ग से काफी मशक्कत से बर्फ हटाने के लिए प्रयास रहे हैं. वहीं दूसरी ओर आज सुबह अचानक से ग्लेशियर टूटने की तस्वीर सामने आई है. इस समय पहाड़ों में भी अचानक मौसम करवट बदल रहा है. पहाड़ों में भी गर्मी का एहसास हो रहा है. उच्च हिमालय क्षेत्र में भी बढ़ते तापमान के असर से ग्लेशियर टूटने की तस्वीर सामने आ रही है.

हेमकुंड साहिब यात्रा मार्ग में अटलाकुड़ी से हेमकुंड साहिब तक बहुत बड़ा ग्लेशियर का एक हिस्सा इस वर्ष भी पसरा हुआ है. जिसे हटाने के लिए यहां हर वर्ष भारतीय सेना के जवान आते हैं और ग्लेशियर के बीचो-बीच रास्ता काट कर हेमकुंड साहिब की यात्रा शुरू करते हैं. वहीं, मंगलवार सुबह हेमकुंड साहिब यात्रा मार्ग पर ग्लेशियर का कुछ हिस्सा इस तरह टूटा की कुछ देर तक यहां नदी के पानी की तरह बर्फ बहती हुई दिखी. मीडिया की जानकारी के अनुसार ग्लेशियर टूटने से कोई नुकसान नहीं हुआ है.

हेमकुंड गुरुद्वारा सबसे प्रतिष्ठित सिख तीर्थ स्थलों में से एक है. यह एक झील के किनारे स्थित है और ऐसा माना जाता है कि सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने यहां तपस्या की थी.
ट्रस्ट के प्रबंधन के अनुसार, इससे पहले 2021 में कोरोनोवायरस महामारी दिशानिर्देशों पर विचार के साथ शुरू हुई थी, जिसमें कहा गया था कि केवल 1,000 भक्तों को जिन्होंने अपनी डबल डोज ले ली है और साथ ही आरटी-पीसीआर रिपोर्ट 72 घंटे में है, तो उस भक्त को यात्रा करने की अनुमति दी गई थी.
हेमकुंड साहिब की उंचाई
जिला चमोली के हिमालय पर्वतमाला में समुद्र तल से लगभग 15,000 फुट से ऊपर की ऊंचाई पर स्थित श्री हेमकुंट साहिब सिख तीर्थयात्रा के एक लोकप्रिय केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है, जहाँ हर साल गर्मियों में हजारों भक्तों घूमने एवं दर्शन करने आते हैं. हेमकुंड में अक्टूबर से अप्रैल तक बर्फ की वजह से जाना अत्यधिक दुर्गम है.