जम्मू-कश्मीर से अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 और धारा 35A को निरस्त करने के बाद अब उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज की गई थी. जुलाई में संविधान पीठ इसकी सुनवाई कर सकती है. सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि वो अनुच्छेद 370 से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई के लिए जुलाई में पांच जजों के संविधान पीठ का गठन करने की कोशिश करेंगे.
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर से अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 और 35A को निरस्त करने के बाद अब उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज की है जुलाई में संविधान पीठ इसकी सुनवाई कर सकती है. सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि वो अनुच्छेद 370 से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई के लिए जुलाई में पांच जजों के संविधान पीठ का गठन करने की कोशिश करेंगे.

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वहीं, वरिष्ठ वकील शेखर नाफड़े ने मामलों की जल्द सुनवाई की मांग की है. सीजेआई ने कहा कि ये पांच जजों के संविधान पीठ का मामला है. शेखर नाफड़े ने अगले हफ्ते सुनवाई की मांग की है, लेकिन आत्ममंथन के बाद उन्होंने कहा कि इसे गर्मियों की छुट्टियों के बाद भी सुना जा सकता है.
जम्मू-कश्मीर का नई परिसीमन प्रक्रिया का मामला भी सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में परिसीमन प्रक्रिया को चुनौती दी गई है और साथ ही याचिका में परिसीमन अधिसूचना पर रोक लगाने की मांग की गई है. जम्मू-कश्मीर निवासियों ने ये याचिका दाखिल की है. याचिका में कहा गया है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में परिसीमन करने के लिए परिसीमन आयोग के गठन की अधिसूचना असंवैधानिक है. यह वर्गीकरण के बराबर है और समानता के अधिकार का उल्लंघन है. केंद्र ने उन शक्तियों को हड़प लिया है, जो मूल रूप से भारत के चुनाव आयोग के पास हैं.

वरिष्ठ वकील ने कहा कि यह जो याचिका मुख्य तौर पर दर्ज कराई गई है वह अनुच्छेद 370 से संबंधित मामला है. लेकिन इसमें परिसीमन भी चल रहा है. उन्होंने आगे बताया कि वकीलों की दलील सुनने के बाद प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने कहा कि मैं इस विषय को गंभीरता के साथ देखता हूं. यह पांच जजों की पीठ के सामने रखा जाने वाला मामला है. मुझे पीठ का पुनर्गठन करना होगा.
माना जा रहा है कि 2019 में याचिकाओं को जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्य कांत की संविधान पीठ को भेजा गया था. बेंच के सदस्यों में से एक जस्टिस सुभाष रेड्डी इस साल जनवरी में रिटायर हो चुके हैं मीडिया के हवाले से कहा जा रहा है कि सीजेआई एन.वी रमना भी अगस्त में रिटायर होने वाले हैं इसलिए मुख्य न्यायधीश को बेंच का पुनर्गठन करना होगा.
आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को संसद से अनुच्छेद 370 और धारा 35A को निरस्त कर जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया था. इसके साथ ही, सरकार ने जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित भी कर दिया था. सरकार के इस कदम के बाद घाटी में लंबे समय तक धारा 144 भी लगाई गईं और वहां के प्रमुख राजनेताओं को नजरबंद भी करके रखा गया था.
