Rule of Sahara Refund Portal: सहारा परिवार कंपनी द्वारा हुए ठगी के शिकार निवेशकों के अच्छे दिन लौट आए हैं। सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को ‘सीआरसीएस-सहारा रिफंड पोर्टल’ की शुरुआत की। इस पोर्टल का उद्देश्य सहारा समूह की चार सहकारी समितियों में जमा करोड़ों लोगों की मेहतन की कमाई को लगभग 45 दिनों में वापस करना है।

जिनके निवेश की मैच्योरिटी पूरी हो चुकी है. रिफंड पोर्टल पर निवेश के पैसे की वापसी से जुड़ी सभी जानकारियां उपलब्ध होंगी.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक्शन
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ये एक्शन देखने को मिल रहा है. देशभर के लाखों निवेशकों के करोड़ों रुपये सहारा इंडिया में निवेश की मैच्योरिटी पूरा होने के बावजूद भी अभी तक लोगों के पैसे वापस नहीं मिल रहे हैं.
सहकारिता मंत्रालय ने लगाई थी अर्जी
सहारा ग्रुप की सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज सोसाइटी, हमारा इंडिया क्रेडिटकोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड और स्टार्स मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के पास पैसे जमा करने वाले इंवेस्टर्स को राहत दिलाने के लिए सहकारिता मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 5,000 करोड़ रुपये सीआरसीएस को ट्रांसफर करने का आदेश दिया था.
निवेशकों को करना होगा ये काम

जिन निवेशकों ने सहारा में पैसा निवेश किया है, उन्हें सबसे पहले ये चेक करना होगा कि उनका पैसा किस को-ऑपरेटिव में लगा है. फिर उससे जुड़े अपने सारे दस्तावेज जुटाने होंगे. इस प्रोसेस में सहारा के एजेंट की क्या भूमिका होगी. इस बारे में पोर्टल पर जानकारी उपलब्ध होगी. स बारे में पोर्टल पर जानकारी उपलब्ध होगी. सरकार के इस कदम से निवेशकों में पैसे वापसी को लेकर एक उम्मीद जागेगी. सहारा-सेबी फंड में 24,000 करोड़ रुपये जमा हैं. साल 2012 में ये फंड बना था.
उत्तर भारत के लोगों का फंसा है अधिक पैसा

सहारा इंडिया में सबसे ज्यादा बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से निवेशक हैं.
कुछ लोगों ने अपनी सारी गाढ़ी कमाई सहारा इंडिया में जमा कर दी थी. अब वो दर-दर भटक रहे हैं. निवेश की अवधि पूरी जाने के बाद भी पैसे वापस नहीं मिलने से कई राज्यों में लगातार सहारा इंडिया के खिलाफ निवेशकों का गुस्सा फूट रहा है.

साल 2009 में शुरू हुआ था विवाद
सहारा का ये विवाद साल 2009 का है. जब सहारा की दो कंपनियां सहारा हाउसिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड और सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन ने अपना आईपीओ लाने लाने की पेशकश की. आईपीओ के आते ही सहारा की गड़बड़ियों की पोल खुलने की शुरुआत हो गई. सेबी के सामने ये बात आ गई कि सहारा ने गलत तरीके से 24,000 करोड़ की रकम जुटाई थी. इसके बाद जब जांच शुरू हुई तो सेबी ने अनियमितता पाई गई थी.