गंगा का संरक्षण और कायाकल्प 2014 से प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की प्राथमिकता रही है। इसके तहत प्रमुख कार्यक्रम-नमामि गंगे का मुख्य लक्ष्य गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की स्वच्छ गंगा कोष की पहल ने जनता और निगमों को आकर्षित करना शुरू कर दिया है। पिछले कुछ वर्षों में कई व्यक्तियों, कंपनियों, सार्वजनिक उपक्रमों और यहां तक कि धार्मिक ट्रस्टों ने स्वच्छ गंगा कोष में योगदान दिया है।
ट्रिम्बल ग्रुप के ट्रिम्बल मोबिलिटी सॉल्यूशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (टीएमएसआईपी) ने स्वच्छ गंगा कोष में 42.8 लाख रुपये का योगदान दिया है।सुधीर आर. कामथ, वरिष्ठ निदेशक वित्त और सुदर्शन मोहन, संचालन निदेशक-भारत, टीएमएसआईपी ने राजीव रंजन मिश्रा, महानिदेशक, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को 42.8 लाख रुपये का डिमांड ड्राफ्ट दिया। यह कंपनी की सीएसआर पहल का एक हिस्सा है।
योगदान की सराहना करते हुए, एनएमसीजी के महानिदेशक ने कहा कि राष्ट्रीय गंगा के कायाकल्प के लिए सभी के सहयोगात्मक प्रयासों की आवश्यकता है और कॉर्पोरेट इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। उन्होंने टीएमएसआईपी के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया और कहा कि इस तरह के प्रयास अन्य कॉरपोरेट घरानों को गंगा के कायाकल्प के लिए आगे आने को प्रोत्साहित करेंगे। यह देखते हुए कि यह कंपनी भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी में शामिल है, इसने नमामि गंगे में इस तरह की तकनीक के उपयोग की कई पहल जैसे एलआईडीएआर मैपिंग आदि पर चर्चा की।
हाल ही में, प्रधान मंत्री ने लोगों से उन्हें प्राप्त उपहारों और स्मृति चिन्हों की ई-नीलामी में भाग लेने का आग्रह किया है। इसमें प्रधान मंत्री को टोक्यो ओलंपिक और टोक्यो पैरालिंपिक के नायकों द्वारा दिए गए विशेष स्मृति चिन्ह शामिल हैं। स्वच्छ गंगा कोष को पूरे देश से जबर्दस्त सर्मथन मिल रहा है।