कांग्रेस की राजनीति को पुनरुद्धार करने के लिए चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की पार्टी में एंट्री को लेकर अब पूरे आसार दिख रहे हैं और इसे देखते हुए ही कांग्रेस के संगठन में बुनियादी ढांचे में हर स्तर पर बदलाव की चर्चाएं होने लगी हैं.
नई दिल्ली: कांग्रेस की राजनीति को पुनरुद्धार करने के लिए चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की पार्टी में एंट्री को लेकर अब पूरे आसार दिख रहे हैं और इसे देखते हुए ही कांग्रेस के संगठन में बुनियादी ढांचे में हर स्तर पर बदलाव की चर्चाएं होने लगी है. पार्टी के तेवर और कलेवर बदलने के लिए जहां एआइसीसी में कुछ अहम परिवर्तन को महत्त्वपूर्ण माना जा रहा वहीं दूसरी ओर राज्यों की कांग्रेस में अंदरूनी सियासत में भी इसका असर होता दिख रहा है. खासकर उन राज्यों के संगठनात्मक ढांचे में बदलाव का ज्यादा प्रभाव दिखेगा जहां अगले लोकसभा चुनाव से पहले विधानसभा चुनाव होने हैं.

और यह भी पढ़ें- क्या प्रशांत किशोर पाना चाहते हैं कांग्रेस में शीर्ष पद?
अगर हम लोकसभा से पहले विधासभा चुनाव की बात करे तो कांग्रेस की सबसे पहली नजर में राजस्थान पहले नंबर पर है, जहां कहा जा रहा है कि सचिन पायलट के अपने अलग दावे हैं. जानकारों का कहना है कि राजस्थान में पार्टी के अंदर की गुटबाजी खत्म करने के लिए उदयपुर में ‘चिंतन शिवर सत्र’ की योजना है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को एआईसीसी सचिवालय में वरिष्ठ पद संभालने के लिए कहा जाएगा? या इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि क्या 70 वर्षीय गहलोत इसे स्वेच्छा से स्वीकार करेंगे?

कांग्रेस पार्टी मुख्यालय 24 अकबर रोड से लेकर लुटियन जोन के कई बंगलों में प्रशांत किशोर को लेकर चर्चा तेज हो रही है. मोती लाल नेहरू मार्ग पर रहने वाले एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि प्रशांत किशोर राजनीतिक दलों के बंगलों पर आते-जाते रहते हैं.
क्या पार्टी के आंतरिक ढांचे में भी सुधार होगा?
कांग्रेस के एक पूर्व महासचिव ने कहा कि क्या प्रशांत किशोर के साथ चर्चा और उनका कांग्रेस में शामिल होना 2024 की चुनौतियों को देखते हुए पार्टी के आंतरिक और अन्य जरूरी सुधार से जुड़ा हुआ है? अगर ऐसा नहीं है तो इस मुद्दे पर चर्चा का कोई फायदा नहीं है. यह सब समय बिताने जैसा है. उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी के सामने बड़ी चुनौतियां लगातार खड़ी हो रही हैं. अभी तक मुझे इन चुनौतियों से निबटने के किसी ठोस प्रयास की कोई आहट नहीं सुनाई दे रही है. वरिष्ठ नेता ने कहा कि जो चल रहा है, उसे सुनकर मुझे भी तकलीफ होती है. मेरी भी निष्ठा का मामला है. इससे अधिक मैं कुछ नहीं कह सकता और प्रशांत किशोर तो अभी कोई चर्चा का विषय भी नहीं हैं.

कर्नाटक के कांग्रेस नेताओं से पीके की हो चुकी है मुलाकात
कर्नाटक के वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं, राज्यसभा के प्रतिपक्ष नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार के साथ पीके की बैठक पहले हो चुकी है. गुजरात में इस साल के आखिर में होने वाले चुनाव में भी पीके की बेहद अहम भूमिका बताई जा रही है. माना जा रहा है कि गुजरात के सबसे ताकतवर पाटीदार समुदाय के नेता नरेश पटेल को कांग्रेस में शामिल कर प्रदेश कांग्रेस का स्वरुप बदल गया है जिससे माना जा रहा है कि बड़ा चुनावी दांव चलने की पीके पहले ही कोशिश शुरू कर चुके हैं.