रायसीना डायलॉग 2022, ‘टेरानोवा- इंपैसंड, इंपैसियस, इंपेरिल्ड’ थीम पर आधारित है. ये विमर्श छह विषयों पर मुख्य रूप आधारित होगा. टेरा नोवा पृथ्वी को कहा जाता है. डायलॉग का नाम यह रखने का उद्देश्य है कि विश्व को नए नजरिए से देखा जाए.
नई दिल्ली: रायसीना डायलॉग की शुरुआत वर्ष 2016 में हुई थी जिसका उद्देश्य था, विचार और विमर्श के लिए एक मंच को तैयार करना है. माना जाता है कि यह भारत की कूटनीति है कि वह वैश्विक कूटनीति के विशेषज्ञों, शोधार्थियों और राजनेताओं को एक मंच पर लाने का प्रयास कर रहा है. पिछले 2 वर्षों में इस कार्यक्रम का आयोजन वर्चुअल तरीके किया गया था. लेकिन इसबार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी 25 अप्रैल को रायसीना डायलॉग कार्यक्रम का उद्घाटन करने वाले हैं.

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राजधानी दिल्ली में आज से सातवें रायसीना डायलॉग का शुभारंभ होगा. पीएम नरेंद्र मोदी आज उद्घाटन भाषण भी देंगे. यह भारत द्वारा आयोजित की जाने वाली बहुउद्देशीय संवाद कार्यक्रम है, इसमें भू-राजनीतिक के साथ भू-आर्थिक वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा. विदेश मंत्रालय के मुताबिक़ रायसीना डायलॉग 25 से 27 अप्रैल यानी तीन दिन तक चलेगा. इसमें यूरोपीय कमीशन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन मुख्य अतिथि के तौर पर होंगी.

क्या रहेगा थीम
रायसीना डायलॉग 2022, ‘टेरानोवा- इंपैसंड, इंपैसियस, इंपेरिल्ड’ थीम पर आधारित है. ये विमर्श छह विषयों पर मुख्य रूप आधारित होगा. टेरा नोवा पृथ्वी को कहा जाता है. डायलॉग का नाम यह रखने का उद्देश्य है कि विश्व को नए नजरिए से देखा जाए. संवाद के छह मुख्य विषय इस प्रकार है ‘लोकतंत्र पर पुनर्विचार, व्यापार, प्रौद्योगिकी व विचार धारा, बहुपक्षवाद का अंत: एक नेटवर्क वाली वैश्विक व्यवस्था, वाटर कॉकस, भारत-प्रशांत में अशांत ज्वार, समुदाय इंकार्पोरेशन स्वास्थ्य, विकास और धरती के प्रति पहली जिम्मेदारी, हरित बदलाव सामान्य अनिवार्यता, वास्तविकताओं को अलग करना, सैमसन बनाम गोलियत लगातार और अनवरत प्रौद्योगिकी जंग.
रायसीना डायलॉग के माध्यम से भारत इन देशों के साथ विचार-विमर्श करने का मौका देगा. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पहली बार यूरोपीय संघ के कई देशों के विदेश मंत्री एक साथ एक जगह पर एकत्रित होंगे. जाहिर है कि इन विदेश मंत्रियों की भारतीय विदेश मंत्री के साथ होने वाली द्विपक्षीय बैठकों में और आपस में भी होने वाली मुलाकातों में यूक्रेन-रूस के हालात पर विमर्श काफी अहम रहेगा.

चीन के आक्रामक रवैये के बीच रायसीना डायलॉग अहम
कई विश्लेषकों का मानना है कि रायसीना डायलॉग को हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते आक्रामक रवैये और इसके खिलाफ वैश्विक स्तर पर उभर रही चिंताओं से जोड़कर देखने की जरुरत हैं. असलियत में वर्ष 2016 में इसके पहले आयोजन के कुछ ही महीनों बाद पहली बार भारत, अमेरिका, आस्ट्रेलिया और जापान के विदेश मंत्रियों के अधिकारियों की पहली बैठक हुई थी. इस बैठक ने अपने लक्ष्य से आगे बढ़ते हुए क्वाड संगठन को मूर्त रूप दिया था. बाद में चारों देशों के विदेश मंत्रियों और उसके बाद राष्ट्र प्रमुखों के बीच बैठक हुई थी.