uttarakhand teerthatan parishad char dham 2025 : देहरादून (उत्तराखंड): उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश में बढ़ती धार्मिक गतिविधियों और तीर्थ यात्रियों की संख्या को ध्यान में रखते हुए एक बड़ा फैसला लिया है। धामी कैबिनेट ने “उत्तराखंड धर्मस्व एवं तीर्थाटन परिषद” के गठन को मंजूरी दे दी है। इस परिषद का गठन लंबे समय से विचाराधीन था, जो अब राज्य की प्रमुख धार्मिक यात्राओं और मेलों के संचालन, निगरानी और समन्वय के लिए एक स्वतंत्र प्रशासनिक इकाई के रूप में काम करेगी।
📈 क्यों जरूरी था तीर्थाटन परिषद का गठन?
उत्तराखंड में हर साल लाखों श्रद्धालु चारधाम यात्रा, नंदा देवी राजजात, आदि कैलाश यात्रा और पूर्णागिरि यात्रा जैसी धार्मिक यात्राओं में भाग लेने आते हैं। 2025 में चारधाम यात्रा को लेकर रिकॉर्ड तीर्थयात्रियों के आगमन की उम्मीद है। ऐसे में भीड़ नियंत्रण, मूलभूत सुविधाएं, सुरक्षा और यात्रा अनुभव को बेहतर बनाने के लिए एक समर्पित संगठन की जरूरत थी।
🏛️ परिषद की संरचना कैसी होगी?
परिषद को तीन स्तरों पर गठित किया जाएगा:
- राज्य स्तर – मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में नीति निर्धारण करने वाली परिषद
- प्रशासनिक निगरानी स्तर – मुख्य सचिव की अध्यक्षता में निगरानी व मूल्यांकन परिषद
- मंडलीय स्तर – गढ़वाल और कुमाऊं के मंडलायुक्त परिषद के CEO के तौर पर कार्य करेंगे
➡️ इसके साथ ही दोनों मंडलों में मंडलीय परिषदों का गठन किया जाएगा, जो योजना के क्रियान्वयन और ज़मीनी कार्यों की देखरेख करेंगी।
🧹 प्रमुख कार्य क्या होंगे परिषद के?
- चारधाम यात्रा सहित सभी धार्मिक यात्राओं का संचालन
- बेहतर मूलभूत अवस्थापना (Infrastructure) सुविधाएं सुनिश्चित करना
- स्वच्छता, यातायात नियंत्रण, श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर विशेष ध्यान
- यात्राओं को सहज, सुरक्षित और सुखद बनाने के लिए मॉडर्न प्लानिंग
- संबंधित विभागों और एजेंसियों के बीच समन्वय स्थापित करना
💰 बजट और संसाधन
उत्तराखंड सरकार ने इस परिषद के लिए अलग से बजट प्रावधान भी किया है, ताकि परिषद अपने कार्यों को बिना वित्तीय अड़चनों के प्रभावी रूप से अंजाम दे सके।
🗣️ धामी सरकार का दृष्टिकोण
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार धार्मिक पर्यटन को राज्य की आर्थिक रीढ़ के रूप में विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में कहा था:
“उत्तराखंड के धार्मिक स्थलों का आध्यात्मिक महत्व तो है ही, साथ ही ये राज्य की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक समृद्धि का भी आधार हैं।”