2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई तब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 110 प्रति बैरल डॉलर था. तब पेट्रोल 72 रुपये प्रति लीटर के भाव से और डीजल 55.48 रुपये प्रति लीटर के भाव पर बिक रहा था.
नई दिल्ली: पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इन दिनों आग लगी हुई है. देश के कई शहरों में पेट्रोल डीजल शतक लगा चुका है. पर आपको पता है कि 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद बीते 8 साल में पेट्रोल 45 फीसदी और डीजल 75 फीसदी महंगा हो चुका है. जबकि तब 2014 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार रहते हुए चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन यूपीए सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. लोगों को भरोसा दिया था कि उनकी सरकार आई तो महंगाई से निजात दिलाएंगे. लोकसभा चुनाव प्रचार में जो वह कहा करते थे वह बीते आठ सालों में उन्होंने एक भी वादा पूरा नहीं किया है, उल्टा पेट्रोल-डीजल के प्राइस आसमान छू रहे हैं. अब ऐसे में जनता कह रही है कि हमें वहीं पेट्रोल-डीजल के दाम मुहैया कर दो जो यूपीए 2 में थे.

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8 सालों में कितना महंगा हुआ पेट्रोल-डीजल
एज तरफ तो पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी और दूसरी ओर खाद्य पदार्थों में बेतहाशा महंगाई बढ़ रही है. जनता दोनों ओर से त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रही है. वहीं विपक्ष की आलोचना और आम आदमी में इस बढ़ रही महंगाई के गुस्से में होने के बावजूद भी सरकारी तेल कंपनियों हर रोज पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ा रहे हैं. 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई तब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 110 प्रति बैरल डॉलर था. तब पेट्रोल 72 रुपये प्रति लीटर के भाव से और डीजल 55.48 रुपये प्रति लीटर के भाव पर बिक रहा था. पेट्रोल डीजल के दाम में कम से कम 16 रुपये से ज्यादा का अंतर था. लेकिन अब पेट्रोल दिल्ली में 105.41 रुपये प्रति लीटर और डीजल 96.67 रुपये प्रति लीटर के भाव पर मिल रहा है. इन आंकड़ों के हिसाब से ये साफ है कि बीते 8 सालों में पेट्रोल 45 फीसदी तो डीजल 75 फीसदी महंगा हो चुका है.

केंद्र सरकार की कमाई
पीपीएसी के अनुसार, साल 2014-15 में केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी से 99,068 करोड़ रुपये कमाए थे, और वहीं साल 2020-21 में 3.73 लाख करोड़ रुपये की कमाई की थी. केंद्र सरकार ने साल 2021-22 में अप्रैल से सितंबर तक एक्साइज ड्यूटी से 1.70 लाख करोड़ की कमाई कर चुकी है.
राज्य सरकारों की कमाई
पेट्रोल-डीजल पर टैक्स से राज्य सरकारें भी बंपर कमाई करती हैं. साल 2014-15 में राज्यों ने 1.37 लाख करोड़ रुपये की कमाई की तो वही 2020-21 में ये कमाई बढ़कर 2.02 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गई. 2021-22 में अप्रैल से सितंबर तक राज्य सरकारों ने 1.21 लाख करोड़ रुपये की कमाई की.

कौन तय करता है पेट्रोल-डीजल की कीमतें
सबसे पहले पेट्रोल और डीजल की कीमतें केंद्र सरकार ही तय किया करती थी. लेकिन जून 2010 में मनमोहन सरकार ने पेट्रोल की कीमतें तय करने का अधिकार तेल कंपनियों को दे दिया था. लेकिन अक्टूबर 2014 के बाद मोदी सरकार ने डीजल की कीमतें तय करने का जिम्मा भी तेल कंपनियों को सौंप दिया.