देव दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 14 मिनट से शाम 07 बजकर 49 मिनट तक होगा।
नई दिल्ली: देव दिवाली हर साल कार्तिक मास पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इसलिए आज सोमवार 7 नवंबर को बड़ी धूम-धाम से देव दिवाली मनाई जा रही हैं। सोमवार देवों के देव महादेव को अतिप्रिय है तो आज के दिन का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। वैसे तो, देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है लेकिन, इस बार 8 नवंबर को चंद्र ग्रहण लगने के कारण देव दीपावली या देव दिवाली 7 नवंबर को पूर्णिमा तिथि प्रारंभ के समय ही मनाई जा रही है।
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देव – दिवाली का शुभ मुहूर्त

पूर्ण तिथि का प्रारंभ 07 नवंबर शाम 04 बजकर 15 मिनट से शुरू होगा और 8 नवंबर शाम 04 बजकर 31 मिनट पर समाप्त को पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी। देव दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 14 मिनट से शाम 07 बजकर 49 मिनट तक होगा।
देव दिवाली पूजा , विधि, नियम उपाय

- देव दिवाली के दिन दान-पुण्य जरूर करें। यदि पवित्र नदियों में स्नान न कर पाएं तो पवित्र नदियों के जल को पानी में मिलाकर स्नान कर लें।
- मिट्टी या आटे का दीया ले कर उसमें घी या तेल डाल दें। इसमें मौली की बाती बना कर लगा दें और इसके बाद इसमें 7 लौंग डालें और 11 बार ‘ऊं हीं श्रीं लक्ष्मीभयो नम:’ का जाप कर लें और इसके बाद दीया मुख्यद्वार के गेट पर पूर्व दिशा में रख दें। ध्यान रहे कि दीया जब भी रखें उसके बाद कम से कम ये चार बजे तक जरूर जले।
- एक आटे या मि्टटी का दीपक लें और इसमें तेल या घी कुछ भी डाल लें। इसके बाद इस दीपक में 7 लौंग डाल दें और ध्यान रहे दीपक केवल मिट्टी या आटे का ही होना चाहिए।
- 5 दिवसीय उत्सव देवोत्थान एकादशी से शुरू होता है और कार्तिक पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन लोग कार्तिक स्नान करते हैं, खासतौर पर भक्त पवित्र गंगा नदी में स्नान करने देश के कोने-कोने से पहुंचते हैं।
- इस दिन शाम को तेल से दीप जलाकर गंगा नदी में प्रवाहित किया जाता है।
- शाम को दशमेश्वर घाट पर भव्य गंगा आरती की होती है। इस वक्त हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होते हैं।
- गंगा आरती के दौरान भजन-कीर्तन, लयबद्ध ढोल-नगाड़ा, शंख बजाये जाते हैं।
देव दिवाली का महत्व
ॐ नम: शिवाय’, ॐ हौं जूं सः, ॐ भूर्भुवः स्वः, ॐ त्र्यम्बेकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धूनान् मृत्योवर्मुक्षीय मामृतात्, ॐ स्वः भुवः भूः, ॐ सः जूं हौं ॐ.
देव दिवाली पर दीपदान का महत्व

देव दिवाली पर दीपदान का विशेष महत्व है और ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने व दीपदान करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है। घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है और खुशहाली आती है।
देव दिवाली मनाने का इतिहास

पौराणिक कथा के अनुसार, त्रिपुरासुर नाम के एक राक्षस ने अपने आतंक से धरतीलोक पर मानवों और स्वर्गलोक में सभी देवताओं को त्रस्त कर दिया था। सभी देवतागण त्रिपुरासुर से परेशान हो गए थे। सभी सहायता के लिए भगवान शिव के पास पहुंचे और त्रिपुरासुर का अंत करने की प्रार्थना की। कथा के अनुसार, भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था। त्रिपुरासुर के अंत के बाद उसके आंतक से मुक्ति मिलने पर सभी देवतागण प्रसन्न हुए और उन्होंने स्वर्ग में दीप जलाएं। इसके बाद सभी भोलेनाथ की नगरी काशी में पधारे और काशी में भी दीप प्रज्जवलित कर देवताओं ने खुशी मनाई।
योगी आादित्यनाथ ने लोगों को देव दिवाली की शुभकामनाएं दी
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी ने लोगों को देव दिवाली की बधाई देते हुए कहा कि ‘देव-दीपावली’ की समस्त प्रदेश वासियों व श्रद्धालुओं को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं! और साथ ही ये भी कहा कि बाबा विश्वनाथ की पावन धरा पर मनाया जाने वाला यह महापर्व सभी श्रद्धालुओं के जीवन को सुख-समृद्धि तथा आरोग्यता के आशीर्वाद से अभिसिंचित करे, यही कामना है।
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