भारत में गैर-संचारी रोगों का प्रकोप: एक गंभीर चिंता

10 Apr, 2024
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भारत में गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) का प्रकोप एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत “दुनिया की कैंसर राजधानी” बन गया है, जिसमें कैंसर के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि:

तीन में से एक भारतीय प्री-डायबिटिक है।
तीन में से दो प्री-हाइपरटेंसिव हैं।
दस में से एक डिप्रेशन से पीड़ित है।
कैंसर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और मानसिक स्वास्थ्य विकारों जैसे एनसीडी का प्रचलन एक गंभीर स्तर पर पहुंच गया है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य और जीवनकाल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

एनसीडी के बढ़ते मामलों के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं:

अस्वास्थ्यकर जीवनशैली: धूम्रपान, शराब का सेवन, शारीरिक गतिविधि की कमी और असंतुलित आहार।
बढ़ती उम्र: उम्र बढ़ने के साथ एनसीडी का खतरा बढ़ जाता है।
आनुवंशिकी: कुछ लोगों में एनसीडी का खतरा आनुवंशिक रूप से अधिक होता है।
पर्यावरणीय कारक: प्रदूषण और अन्य पर्यावरणीय कारक एनसीडी के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
एनसीडी को नियंत्रित करने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें शामिल हैं:

सरकार द्वारा:
स्वास्थ्य जागरूकता अभियान चलाना
स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सुधार
स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देना
नागरिकों द्वारा:
स्वस्थ जीवनशैली अपनाना
नियमित स्वास्थ्य जांच करवाना
एनसीडी के बारे में जागरूकता फैलाना
एनसीडी एक गंभीर खतरा है, लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है। सरकार और नागरिकों दोनों को मिलकर प्रयास करने होंगे ताकि भारत को एक स्वस्थ राष्ट्र बनाया जा सके।

यह रिपोर्ट निम्नलिखित बिंदुओं पर प्रकाश डालती है:

भारत में एनसीडी का बोझ बढ़ रहा है
एनसीडी के बढ़ते मामलों के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं
एनसीडी को नियंत्रित करने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है
सरकार और नागरिकों दोनों को एनसीडी को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी
यह रिपोर्ट निम्नलिखित सिफारिशें करती है:

सरकार को एनसीडी को रोकने और नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रीय रणनीति विकसित करनी चाहिए।
सरकार को एनसीडी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चलाना चाहिए।
सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना चाहिए और एनसीडी के लिए उपचार को अधिक सुलभ बनाना चाहिए।
नागरिकों को स्वस्थ जीवनशैली अपनानी चाहिए और नियमित स्वास्थ्य जांच करवाना चाहिए।
नागरिकों को एनसीडी के बारे में जागरूकता फैलाने में योगदान देना चाहिए।
यह रिपोर्ट भारत में एनसीडी की स्थिति का एक महत्वपूर्ण मूल्यांकन प्रदान करती है और एनसीडी को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदमों की रूपरेखा तैयार करती है।

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