कुमाऊं में आग का तांडव: पिछले 36 दिनों में कुमाऊं में जंगल की आग ने विकराल रूप धारण कर लिया है। 482 से अधिक बार जंगल में आग लगने की घटनाएं सामने आई हैं, जिसके परिणामस्वरूप 663 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्रफल राख में बदल गया है।
भयानक आग:
यह आग इतनी भयानक थी कि वन विभाग के लिए इसे बुझाना मुश्किल हो गया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए, वन विभाग ने एयरफोर्स की मदद ली। एयरफोर्स के हेलीकॉप्टरों ने नैनीताल में आग बुझाने के लिए पानी की बौछार की। इसके अतिरिक्त, एनडीआरएफ की टीम को भी बचाव कार्यों में सहायता के लिए बुलाया गया था।
विनाशकारी परिणाम:
इस विनाशकारी आगजनी ने वनों और वन्यजीवों को भारी नुकसान पहुंचाया है। कई वनस्पतियां और जानवर आग में जलकर राख हो गए।
नुकसान का अनुमान:
वर्तमान में, आग से हुए नुकसान का आकलन किया जा रहा है। अनुमान लगाया जा रहा है कि आग से लाखों रुपये का नुकसान हुआ है।
उदाहरण:
- नैनीताल में: 20 अप्रैल को नैनीताल के समीप स्थित जंगलों में भीषण आग लगी थी। इस आग में 100 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्रफल जल गया था।
- अल्मोड़ा में: 25 अप्रैल को अल्मोड़ा के समीप स्थित जंगलों में भीषण आग लगी थी। इस आग में 50 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्रफल जल गया था।
कारण:
इस आग का कारण अभी तक ज्ञात नहीं है। हालांकि, अनुमान लगाया जा रहा है कि यह आग किसी अनजान व्यक्ति द्वारा लगाई गई हो सकती है।
रोकथाम के उपाय:
वन विभाग ने भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कई उपाय किए हैं। इन उपायों में शामिल हैं:
- जंगलों में गश्त: वन विभाग ने जंगलों में गश्त बढ़ा दी है ताकि किसी भी आग का जल्द से जल्द पता लगाया जा सके।
- जागरूकता अभियान: वन विभाग स्थानीय लोगों को आग से बचाव के बारे में जागरूक करने के लिए अभियान चला रहा है।
- आधुनिक उपकरणों का उपयोग: वन विभाग आग से लड़ने के लिए आधुनिक उपकरणों का उपयोग कर रहा है।
निष्कर्ष:
कुमाऊं में हुई आगजनी एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। इस घटना ने वनों और वन्यजीवों को भारी नुकसान पहुंचाया है। वन विभाग भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कड़े उपाय कर रहा है।
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