Muhurat Timing 2025: होली सभी के जीवन में प्रेम और खुशियां भरने का अवसर है। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी माना जाता है। गुरुवार को फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर होलिका दहन रात 10.30 बजे के बाद किया जाएगा। अगर होलिका दहन विशेष मुहूर्त में कर रहे हैं तो आप 11.27 बजे के बाद होलिका दहन कर सकते हैं, इस समय भद्रा पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी। इस बार कुल मिलाकर 47 मिनट ही होलिका दहन के लिए मिल रहे हैं। इसके बाद रात भर होलिका जलाने का मुहूर्त है। होलिका दहन से पहले होलिका की पूजा भी की जाती है। इसके लिए महिलाएं दोपहर में होलिका माई को पूजने और उसकी परिक्रमा करने जाती हैं। इस न्दौरान आपको राहुकाल से बचना चाहिए। आज राहुकाल दोपहर 1:30 बजे से 3:00 बजे तक रहेगा। भद्राकाल में होली पूजने का कोई विचार नहीं है। होलिका दहन भद्रा में नहीं होता है, इसलिए राहुकाल को छोड़कर इस शुभ मुहूर्त में होलिका दहन कर सकते हैं।
होलिका पूजन के लिए शुभ समय
अतः भद्रा समाप्ति के बाद 13 मार्च की रात्रि ही होलिका दहन किया जाएगा। स्नान, दान की पूर्णिमा 14 मार्च को रहेगी। होलिका पूजन 13 मार्च को पूर्णिमा लगने के बाद सुबह 10:58 से दोपहर 1:30 तक और दोपहर बाद 3:27 से सायं 6:25 तक किया जा सकता है। राहुकाल दोपहर 1:30 बजे से 3:00 बजे तक रहेगा।
होलिका पूजन कैसे करें
इसके लिए जहां होलिका दहन होगा, वहां गुजिया अर्पित करें, होली के लिए गोबर की गुलरियां, फूलमाला, जल, सिक्का, रोली, आदि पूजा की सामग्री लेकर होलिका दहन पर कलावा बांधकर परिक्रमा करें।
चंद्रग्रहण का असर नहीं
गुरुवार और शुक्रवार की रात को आंशिक चंद्रग्रहण का योग है। लेकिन, यह भारत में दृष्टिगोचर नहीं है। यह चंद्रग्रहण आंशिक रूप से दक्षिण व उत्तरी अमेरिका तथा यूरोप के देशों में दृष्टिगोचर होगा। इस दौरान भारत में दिन रहेगा और दिखायी नहीं देने के कारण इसका असर नहीं पड़ेगा।
त्योहार के समय और मुहूर्त •
पूर्णिमा गुरुवार की रात 8.29 से शुक्रवार को दिन 12.25 बजे तक
• भद्राकाल का साया गुरुवार की रात 10.29 बजे तक
• होलिका दहन का समय गुरुवार की रात 10.30 से आरंभ (रात भर)
• चैत्र माह कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा शुक्रवार 12.25 से लेकर शनिवार 2.34 बजे तक