ओम प्रकाश राजभर ने स्पष्ट रूप से कहा कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने द्रौपदी मुर्मू के आगमन पर हुए रात्रिभोज में हमें बुलाया था. सीएम योगी से मेरी बातचीत हुई और उसी दौरान द्रौपदी मुर्मू ने हमसे समर्थन मांगा था.
उत्तर प्रदेश: समाजवादी पार्टी के सहयोगी ओपी राजभर ने राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की ओर से राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन करने का ऐलान किया है. ये घोषणा राष्ट्रपति चुनाव के लिए होने वाले मतदान से पहले की है. वे लखनऊ में एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार मुर्मू के लिए आयोजित भोज में भी शामिल भी हुए थे. वहीं, राजभर का कहना है कि अखिलेश ने उन्हें विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के लिए आयोजित भोज में नहीं बुलाया था. ऐसे में उन्होंने एनडीए का साथ देने का फैसला किया है.

उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वे राष्ट्रपति चुवान में मुर्मू का समर्थन जरूर करेंगे लेकिन सपा के साथ गठबंधन नहीं तोड़ेंगे. आपको बता दें कि ओपी राजभर की पार्टी सुभासपा के पास 6 विधायक हैं. गौरतलब है कि इससे पहले बसपा प्रमुख मायावती ने भी राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान किया था. एनडीए का साथ देने का एलान करते हुए मायावती ने कहा था कि वो द्रौपदी मुर्मू का समर्थन इसलिए कर रही हैं क्योंकि वो आदिवासी समुदाय से आती हैं. एलान करने के साथ ही मायावती ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर विपक्ष ने बसपा से सलाह नहीं की. मायावती ने कहा था, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने बसपा को राष्ट्रपति उम्मीदवार तय करने के लिए आयोजित बैठक में नहीं बुलाया था.

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क्या बोले सुभासपा प्रमुख?
उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने द्रौपदी मुर्मू के आगमन पर हुए रात्रिभोज में हमें बुलाया था. सीएम योगी से मेरी बातचीत हुई और उसी दौरान द्रौपदी मुर्मू ने हमसे समर्थन मांगा था. वहीं जब मैं लखनऊ दौरे पर था तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का समर्थन करने के लिए का मेरे पास फोन भी आया था. दिल्ली में अमित शाह से राष्ट्रपति चुनाव के लिए मुलाकत हुई भी थी. वहीं दूसरी ओर बताया जा रहा है कि राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा की मौजूदगी में हुई बैठक में अखिलेश ने राजभर को पूछा तक नहीं और जयंत चौधरी को बुलाकर मंच भी साझा किया. सपा अध्यक्ष की इस सियासी चाल ने आग में घी का काम किया और तभी से राजभर अखिलेश पर खुलेआम हमले बोल रहे हैं.

राजभर का यह भी कहना है कि बैठक में न बुलाए जाने की वजह जानने के लिए उन्होंने कई बार सपा अध्यक्ष से संपर्क करने कोशिश भी की, लेकिन अखिलेश ने उनसे बात करना जरूरी नहीं समझा. इसलिए हम राष्ट्रपति चुनाव में अपनी भूमिका अलग रहकर ही तय करेंगे.
Edited By: Deshhit News