चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) अब सूरज पर रिसर्च के लिए 2 सितम्बर को आदित्य एल-1(Aditya-L1) मिशन लॉन्च करने जा रहा है।

भारत पहली बार सूरज पर रिसर्च करने के लिए अपना कोई मिशन लॉन्च कर रहा है। लेकिन, दुनिया के लिए यह कोई नई बात नहीं है। इससे पहले अब तक सूर्य पर कुल 22 मिशन भेजे जा चुके हैं। इसमें कई देशों ने सफलता भी हासिल की है। मिशन पूरा करने वाले देशों में अमेरिका, जर्मनी, यूरोपियन स्पेस एजेंसी शामिल हैं। सूरज पर सबसे ज्यादा मिशन भेजे हैं नासा ने
सूर्य मिशन क्या है?

यह भारत का पहला सूर्य मिशन होगा। आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को सूर्य के कोरोना के दूरस्थ अवलोकन और एल1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अध्ययन करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह स्थान पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है। मिशन को लैग्रेंजियन बिंदु-1 (एल1) तक पहुंचने में करीब चार महीने का समय लगेगा।
आदित्य l1 मिशन कब लॉन्च होगा

Aditya L1 Launching Live Streaming: इसरो के सोलर मिशन आदित्य एल-1 के लिए काउंटडाउन शुरू हो चुका है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शुक्रवार 1 सितम्बर को ये जानकारी दी है. भारत का पहला सौर मिशन आदित्य एल-1 शनिवार 2 सितंबर को सुबह 11.50 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा. साथ ही इसरो ने उन प्लेटफॉर्म्स की भी जानकारी शेयर की है, जहां शनिवार की सुबह 11:20 बजे से आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग को लाइव देखा जा सकता है.
अब तक कितने सूर्य मिशन असफल रहे?
अब तक भेजे जा चुके 22 सूर्य मिशन में से एक को ही असफल माना जा सकता है। नासा का पायनियर-ई मिशन अपनी तय कक्षा में नहीं पहुंच पाया था। इसे नासा ने साल 1969 में लॉन्च किया था। यह एक ऑर्बिटर था, जो तय कक्षा में पहुंचने के बजाय यह अलग निकल गया था। इसी तरह नासा और ESA के जॉइंट प्रोजेक्ट उलिसस-3 मिशन है। यह मिशन 2008 में लॉन्च हुआ था और अपनी तय कक्षा में पहुंचकर कुछ डेटा भी इसने भेजना शुरू किया था। बाद में इस मिशन से संपर्क टूट गया।
NASA का एक सूर्य मिशन था Genesis, यह साल 2001 में लॉन्च हुआ था। इसे सूर्य के चारों तरफ की सौर हवाओं के सैंपल लेकर धरती पर लौटना था। इस अंतरिक्ष यान ने अपना काम पूरा किया और धरती पर लौटा भी, लेकिन क्रैश लैंड हो गया। हालांकि, नासा के वैज्ञानिकों को उसके टुकड़ों से कई सैंपल मिले थे। कुछ मिशन अभी रास्ते में हैं, यानी अपने टारगेट के रास्ते में हैं।