प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज मन की बात कार्यक्रम के 88वें एपिसोड के जरिए देशवासियों को संबोधित किया है. इस कार्यक्रम की शुरुआत में उन्होंने ‘प्रधानमंत्री संग्रहालय’ का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि ये संग्रहालय लोगों को विभिन्न तरह की नई जानकारी देता है.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज मन की बात कार्यक्रम के 88वें एपिसोड के जरिए देशवासियों को संबोधित किया है. इस कार्यक्रम की शुरुआत में उन्होंने ‘प्रधानमंत्री संग्रहालय’ का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि ये संग्रहालय लोगों को विभिन्न तरह की नई जानकारी देता है. उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों की जानकारी के लिए ये समय बेहद अनुकूल है क्योंकि हम आजादी का “अमृत महोत्सव” मना रहे हैं.

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प्रधानमंत्री संग्राहलय
पीएम मोदी ने देशवासियों से पूछा कि, ‘ आप लोग सार्थक प्रधानमंत्री संग्रहालय देखकर आए हैं. उन्होंने नमो ऐप पर लिखा है कि वे बरसों से न्यूज चैनल देखते आये हैं, सोशल मीडिया से भी कनेक्टेड हैं. उन्हें लगता था कि उनकी जनरल नॉलेज काफी अच्छी है. लेकिन जब वह पीएम संग्रहालय गए तो उन्हें पता चला कि वे कई चीजों के बारे में कुछ नहीं जानते हैं. उन्होंने डाक टिकट से जुड़े देश में मौजूद म्यूजियम और रेल म्यूजियम के बारे में भी सवाल किया जहां पर इनकी पूरी जानकारी देखने को मिलती है. उन्होंने आगे कहा कि आप लोगों के पीएम संग्राहलय से जुड़े जितने भी सवाल हैं उसे आप नमो एप के माध्यम से पूछ सकते हैं.

डिजिटल पेमेंट पर करने के लिए दिया जोर
पीएम मोदी ने भीम यूपीआई का जिक्र करते हुए लोगों को इसकी तरफ बढ़ने का आग्रह किया. साथ ही उन्होंने कहा कि इसके लिए आपको नकदी जेब में रखने की कोई जरूरत नहीं है. इसकी वजह से देश में बड़ी डिजिटल इकनामी तैयार हुई है. जब से डिजिटल पेमेंट की शुरुआत हुई तब से अब तक 20 लाख करोड़ तक का डिजिटल लेनदेन हुआ है.
वेदों की गणित पर दिया जोर
अब हम वैज्ञानिक ‘थ्योरी ऑफ एवरीथिंग’ पर चर्चा कर रहे हैं जहां ब्रह्मांड में हर चीज को आत्मसात किया जा सकता है. एक तरफ हमने शून्य का आविष्कार किया और साथ ही अनंत के विचार की भी खोज कर दी. वेदों की गणित के अनुसार गिनती अरबों ट्रिलियन से आगे जाती है. हमारे शास्त्रों में वर्णित है कि जल प्रत्येक प्राणी की मूलभूत आवश्यकता है, यह एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है. वाल्मीकि रामायण में जल संरक्षण पर जोर दिया गया था. हड़प्पा सभ्यता के दौरान पानी बचाने के लिए उन्नत इंजीनियरिंग भी की गई थी.

यूपी के रामपुर की ग्राम पंचायत का जिक्र
उन्होंने पंचायती राज दिवस के मौके पर रामपुर की एक ग्राम पंचायत का जिक्र करते हुए कहा कि वहां पर गंदगी से पटे एक तालाब को फिर से सही किया गया है. उन्होंने पानी बचाने पर अधिक जोर दिया और कहा कि ये हम सभी का नैतिक दायित्व है कि हम इसको संजो के रखें. सिंधु और हड़प्पा संस्कृति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उस वक्त जल संरक्षण को लेकर जागरुकता काफी अधिक थी. लेकिन आज ऐसा नहीं है. इसलिए मौका है आज हम जल संरक्षण से जुड़े और अपने जिले की पहचान बनाएं.