एनसीपी नेता शरद पवार ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा कि अभी वह सक्रिय राजनीति में रहना चाहते हैं. इससे पहले भी शरद पवार ने अपनी पार्टी के नेताओं के साथ बैठक में भी राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने की अटकलों पर लगाम लगा दिया था.
नई दिल्ली: राष्ट्रपति चुनाव को लेकर 15 जून को ममता बनर्जी की ओर से बुलाई गई बैठक में शरद पवार ने राष्ट्रपति उम्मीदवारी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. बताया जा रहा है कि 81 वर्षीय शरद पवार ने अभी राजनीति में सक्रिय रहने की इच्छा जताई है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को लेकर 22 राजनीतिक दलों की बैठक बुलाई है. हालांकि इस बैठक में 16 विपक्षी दलों के नेता ही पहुंचे.

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वहीं, एनसीपी नेता शरद पवार ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा कि अभी वह सक्रिय राजनीति में रहना चाहते हैं. इसके पहले शरद पवार ने अपनी पार्टी के नेताओं के साथ बैठक में भी राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने की अटकलों पर लगाम लगा दिया था. सूत्रों की खबरों के मुताबिक आज एक बार फिर शरद पवार ने विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने से मना कर दिया है. इसके बाद ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति पद के लिए गोपाल कृष्ण गांधी और फारूक अब्दुल्ला के नाम का प्रस्ताव रखा. इस विषय पर कोई ठोस रणनीति बनाने और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का नाम पुष्टि करें करने के लिए इसी सप्ताह के अंदर विपक्षी दलों की एक बार फिर बैठक होगी.

सूत्रों ने बताया कि इन दो नामों के अलावा अन्य नामों पर भी विचार किया जा रहा है. साथ ही विपक्षी नेताओं ने भी उनकी सहमति लेने के लिए उनसे संपर्क किया है. सूत्रों ने बताया कि पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी ने इन नेताओं से कुछ समय मांगा है. जिसके लिए विचार-विमर्श कर सके माना जा रहा है कि बुधवार तक वे अपना जवाब दे सकते हैं. उनसे बात करने वाले नेताओं ने कहा कि उम्मीदवार बनने के अनुरोध पर गोपालकृष्ण गांधी ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी थी.
सूत्रों ने कहा कि अगर वह अनुरोध स्वीकार करते हैं, तो वह राष्ट्रपति पद के लिए सर्वसम्मति से विपक्षी उम्मीदवार के रूप में उभर सकते हैं, क्योंकि पिछले उपराष्ट्रपति चुनाव में उनके नाम पर पहले से ही सबकी सहमति थी. गौरतलब है कि महात्मा गांधी के पोते गोपालकृष्ण गांधी 2004 से 2009 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे. उन्होंने दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त के रूप में भी सेवा दी है.