बीते 15 दिनों के अंदर कीमतों की अगर हम बात करें, तो नींबू 15 दिन पहले 50 से100 रुपए किग्रा था, जोकि अब 200 से 300 रुपए किग्रा बिक रहा है. इसके अलावा, गुजरात में 240 रुपये प्रति किलोग्राम और कर्नाटक में 160 रुपये प्रति किलोग्राम नींबू बिक रहा है.
नई दिल्ली: गर्मियां आने के साथ ही कुछ ठंडी चीजों को पीने का आनंद का मौसम आ जाता है जो आपके दिमाग और शरीर को ठंडा रखते हैं साथी आपके शरीर का तापमान भी संतुलित करते हैं. और, जब भी हम घर पर कुछ ठंडा पीने का मन बनाते हैं, तो सबसे पहले हमारे दिमाग में नींबू ही आता है. नींबू पानी से लेकर ताजा नींबू सोडा तक, इस भीषण गर्मी में नींबू हमारी आत्मा को तृप्त कर देता हैं. हालांकि, देश में हर चीज के दाम आसमान छू रहे तो अभी कुछ दिनों से फलों और सब्जियों के दाम कई गुना बढ़ गए हैं. बीते 15 दिनों के अंदर कीमतों की अगर हम बात करें, तो नींबू 15 दिन पहले 50 से 100 रुपए किग्रा था, जोकि अब 200 से 300 रुपए किग्रा हो गया है. इसके अलावा, गुजरात में 240 रुपये प्रति किलोग्राम और कर्नाटक में 160 रुपये प्रति किलोग्राम नीम्बू बिक रहा है.

आमतौर पर नींबू साल भर सबसे ज्यादा उपयोग होने वाला फल है, बिटामिन सी की प्रचुरता वाले इस फल को जहां गर्मी से बचने के घरेलू उपयोग में लाया जाता है वहीं गन्ना, सत्तू समेत कई अन्य शीतल पेय में नींबू का उपयोग किए जाने से नींबू की व्यवसायिक मांग भी बढ़ गई है. कोरोना काल में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढाने के लिए नींबू की कीमत पांच रुपये से अधिक नहीं हुई थी लेकिन वर्तमान समय में एक नींबू 10 रुपये में मिल रहा है.

24 साल का टूटा रिकार्ड
नींबू की महंगाई को लेकर आजकल व्यवसायी सोच में पड़ रहे है. उनका का कहना है कि नींबू की महंगाई ने बीते 24 साल का रिकार्ड तोड़ दिया है. इससे पहले 1998 में नींबू 10 हजार रुपये प्रति बोरा तक बिका था. उस समय भी महंगाई बढ़ने का कारण प्राकृतिक आपदा थी. नींबू उत्पादक राज्यों में फसल बर्बाद होने से ही नींबू महंगे हुए थे. व्यवसायी का कहना है कि अगस्त तक देशी नींबू आने लगेंगे और बढ़ें दाम पर लगाम लगेगी.

दाम बढ़ने की वजह
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ दिल्ली की सब्जी मंडियों के व्यवसासियों ने बताया कि बीते 5 दिन में नींबू की कीमत 80 रुपये प्रति किलो तक बढ़ी है. और साथ ही नींबू के दाम बढ़ने की वजह पिछले साल गुजरात में आया तूफान है. तूफान की वजह से नींबू के फूल झड़ गए. नींबू की झाड़ियों को भी नुकसान पहुंचा. इसके अलावा दो और राज्य तेलंगाना-आंध्र प्रदेश भी नींबू की पैदावार में बड़ा स्थान रखते हैं. वहां भी चक्रवाती तूफानों की वजह से बारिश का ऐसा असर रहा नींबू की फसल नष्ट होती चली गई. नींबू के पेड़ों को बड़ा नुकसान पहुंचा.

कीमत नहीं मिलने से खरीद हुई कम
इसके अलावा दो साल से कोरोना काल में नींबू की सही कीमत न मिलने के कारण किसानों ने इस बार नींबू की पैदावार में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई. जिसका नतीजा यह हुआ कि इस बार बाजार में नींबू की आवक काफी कम है. इस समय बीजापुर, गुंटूर, हैदराबाद, विजयवाड़ा से रोजाना 25 से 30 गाड़ियां ही नींबू निकलती हैं. पिछले साल इस समय रोजाना 100 से 150 गाड़ियां निकलती थीं.