लाहौर, पाकिस्तान: आमिर सरफराज, जिसे “तांबा” के नाम से भी जाना जाता है, उसकी पकिस्तान में अज्ञात लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी आतंकी हाफिज सईद के करीबी की हत्या से पाकिस्तान के लोगों का शक एक बार ब्रिटिश मीडिया संस्थान की रिपोर्ट की याद दिला दिया।
वर्ष 1990 में तारांतरन ज़िले के भिखीविंड कस्बे के रहने वालें सरबजीत 30 अगस्त 1990 में नशे में बॉर्डर पार कर गलती से पकिस्तान पहुंच गया था इसके बाद पाकिस्तानी पुलिस द्वारा बम धमाके एवम जासूसी के आरोप
उसकी गिरफ्तारी फैसलाबाद में दिखाई गई।
बम धमाके एवम जासूसी के आरोप में पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 1991 में फांसी का सजा सुनाई गई थी।
भारत सरकार द्वारा सरबजीत की रिहाई के लिए इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया गया था।
परंतु पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में बंद सरबजीत पर बम विस्फोटों के आरोपी आतंकी हाफिज सईद का करीबी सरफराज और उसके अन्य साथियों द्वारा सरबजीत पर हमला कर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया गया था जिससे 2 में 2013 को सरबजीत सिंह की मृत्यु हो गई थी।
जेल में किए गए इस हमले के लिए आमिर सरफराज और अन्य लोगों के खिलाफ पकिस्तान में मामला दर्ज किया गया था।हालांकि, 2018 में एक पाकिस्तानी अदालत ने “सबूतों की कमी” का हवाला देते हुए सरफराज को बरी कर दिया था।
ब्रिटिश मीडिया संस्थान गार्जियन समाचार पत्र द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह दावा किया गया था कि पुलवामा हमले के बाद भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एनालिसिस विंग ने आतंकवादियों के विरुद्ध नई रणनीति के तहत इजरायल की मोसाद की तरह वह काम कर रही है। जिसके कारण पाकिस्तान में हुई 20 से अधिक आतंकियों की हत्या का कोई कारण कोई अज्ञात भारतीय हैं।
इसलिए पाकिस्तान में सरफराज की हत्या की खबर ने सबको चौंका दिया है। और लोगों के कयास अभी भी भारत की खुफिया एजेंसी रॉ के तरफ जाते हुए दिखाई देते हैं।
संदीप उपाध्याय