Jaipur : डॉ. भीमराव अम्बेडकर विधि विश्वविद्यालय का द्वितीय दीक्षांत समारोह आयोजित

24 Jan, 2024
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जयपुर। राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने कानून की शिक्षा का अधिकाधिक भारतीयकरण किए जाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा है कि विधि विश्वविद्यालयों को चाहिए कि वे कानून की शिक्षा के अंतर्गत संविधान में आस्था रखते हुए नागरिकों के समान अधिकारों के लिए कार्य करने के लिए विद्यार्थियों को तैयार करें। उन्होंने संसद में पारित तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय सक्षम अधिनियम की भी चर्चा की और कहा कि ब्रिटिश काल से चले आ रहे कानूनों के स्थान पर इन कानूनों के आने से देश में विधिक क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन हुआ है।

राज्यपाल श्री कलराज मिश्र बुधवार को डॉ. भीमराव अम्बेडकर विधि विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने विधि शिक्षा प्रदान करने वाले शिक्षकों से आग्रह किया किे वे पाठ्यपुस्तकों के साथ जन-कल्याण से जुड़े नवीनतम कानूनों के बारे में भी विद्यार्थियों को निरंतर अद्यतन करे। उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर संविधान निर्माता ही नहीं थे बल्कि बहुत बड़े विधिवेता भी रहे हैं। उनके जीवन आलोक में संविधान-संस्कृति से जुड़ी शिक्षा के प्रसार के लिए कार्य हो।

राज्यपाल ने कहा कि विधि शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को चाहिए कि वे अपनी विधि शिक्षा का लाभ समाज के कमजोर, वंचित और न्याय के लिए संघर्षरत लोगों को प्रदान करने के लिए भी तत्पर रहें। उन्होंने विधि शिक्षा को युगानुकूल बनाए जाने के साथ ही विधिक साक्षरता के लिए भी विश्वविद्यालय को प्रभावी भूमिका निभाने का आह्वान किया।

इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने प्राचीन न्याय एवं परंपरा की चर्चा करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने भारतीय संदर्भों में न्याय व्यवस्था को नए आयाम दिए हैं। उन्होंने डॉ. अंबेडकर प्रदत्त संविधान की आदर्श परंपराओं को अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने विधि शिक्षा की व्यवहारिकता के लिए भी सबको मिलकर कार्य करने पर जोर दिया।

डॉ.भीमराव अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. सुधि राजीव ने विश्वविद्यालय की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। राज्यपाल ने पूर्व में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक, वरीयता प्रमाण पत्र और उपाधियां प्रदान की। उन्होंने संविधान की उद्देशिका का वाचन करवाया और मूल कर्तव्यों को पढ़कर सुनाया।

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