अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने 2024 के लिए भारत की विकास दर का अनुमान 6.8% तक बढ़ाया, चीन से आगे निकलकर शीर्ष पर पहुंचा

17 Apr, 2024
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नई दिल्ली, 17 अप्रैल: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत की 2024 के लिए जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 0.3% बढ़ाकर 6.8% कर दिया है, जो जनवरी 2024 में जारी किए गए अनुमान से अधिक है। यह वृद्धि मजबूत घरेलू मांग और युवा कार्यबल की बढ़ती संख्या से प्रेरित है, जो भारत को 2024 में 6.8% और 2025 में 6.5% की दर से विकास करने में मदद करेगा।

मुख्य निष्कर्ष:

  • भारत 2024 में प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ेगा: भारत 2024 और 2025 में क्रमशः 6.8% और 6.5% की वृद्धि दर के साथ चीन (4.6% और 4.1%) को पीछे छोड़कर सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
  • मजबूत घरेलू मांग वृद्धि का प्रमुख चालक: मजबूत घरेलू मांग, विशेष रूप से निजी खपत और निवेश में वृद्धि, भारत के आर्थिक विकास का मुख्य आधार बनी रहेगी।
  • युवा कार्यबल भारत को गति देगा: भारत की युवा आबादी, जो श्रम शक्ति में तेजी से प्रवेश कर रही है, उत्पादकता वृद्धि और आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी।
  • वैश्विक अर्थव्यवस्था अपेक्षाकृत स्थिर रहेगी: आईएमएफ का अनुमान है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था 2024 और 2025 में 3.2% की दर से धीमी लेकिन स्थिर गति से बढ़ेगी।
  • तेल की कीमतों में गिरावट की संभावना: आईएमएफ का अनुमान है कि 2024 में तेल की कीमतें 2.5% घटकर 78.60 डॉलर प्रति बैरल हो जाएंगी और 2029 तक 67.50 डॉलर तक गिर सकती हैं।
  • तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव जोखिम पैदा करते हैं: मध्य पूर्व में संघर्ष, रूसी तेल बुनियादी ढांचे पर हमले, और चीनी मांग में गिरावट जैसी घटनाओं से तेल की कीमतों में अस्थिरता पैदा हो सकती है।

निष्कर्ष:

आईएमएफ का संशोधित अनुमान भारत के लिए एक सकारात्मक संकेत है, जो मजबूत घरेलू मांग, युवा कार्यबल और अपेक्षाकृत स्थिर वैश्विक अर्थव्यवस्था द्वारा समर्थित मजबूत विकास की संभावना को दर्शाता है। हालांकि, तेल की कीमतों में संभावित उतार-चढ़ाव एक महत्वपूर्ण जोखिम बना हुआ है।

अतिरिक्त विश्लेषण:

  • भारत के विशिष्ट क्षेत्रों या उद्योगों में वृद्धि दरों का विश्लेषण करें जो समग्र विकास को बढ़ावा दे रहे हैं।
  • वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए आईएमएफ के दृष्टिकोण पर अधिक विस्तृत टिप्पणी प्रदान करें, जिसमें प्रमुख जोखिम और अनिश्चितताएं शामिल हैं।
  • तेल की कीमतों में संभावित गिरावट के आर्थिक प्रभाव और भारत के लिए नीतिगत निहितार्थों पर चर्चा करें।
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