अखिल भारतीय लोकतांत्रिक महिला संघ (एआइडीडब्ल्यूए) ने 12 सप्ताह से अधिक गर्भवती महिला उम्मीदवारों की नियुक्त नहीं करने पर इंडियन बैंक को महिला विरोधी मानसिकता का कहा और साथ ही उसकी कड़ी निंदा भी की.
नई दिल्ली: इंडियन बैंक ने तीन महीने से अधिक की गर्भवती महिलाओं को बैंक में नौकरी के लिए अस्थायी रूप से अयोग्य करार दिया है. बताया जा रहा है कि उन्हें नौकरी शुरू करने से पहले पंजीकृत डॉक्टर का फिटनेस सर्टिफिकेट देना अनिवार्य होगा. नतीजतन, ऐसी महिलाओं के नौकरी में शामिल होने में देरी होगी और वह वरिष्ठता खो देंगी. अब ये मुद्दा गरमा गया है .बैंक के इस प्रतिगामी फैसले की विभिन्न संगठनों ने गंभीर आलोचना भी की है.
बैंक के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, 12 सप्ताह या उससे अधिक की गर्भवती महिलाओं को नौकरी के लिए अस्थायी रूप से अस्वस्थ माना जाएगा. चयनित पद पर नियुक्ति के लिए डिलीवरी के छह सप्ताह बाद उम्मीदवार की फिर से जांच की जाएगी. जिसके ही बाद नौकरी पर आने की इजाजत दी जाएगी. लेकिन जब कई संगठनों ने इन दिशा निर्देशों पर जवाब माँगा तो इंडियन बैंक को भेजे गए संदेशों का कोई तत्काल जवाब नहीं दिया.
और यह भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह को पड़ा दिल का दौरा, हिमाचल प्रदेश से एंबुलेंस से दिल्ली लाया गया
अखिल भारतीय लोकतांत्रिक महिला संघ (एआइडीडब्ल्यूए) ने 12 सप्ताह से अधिक गर्भवती महिला उम्मीदवारों की नियुक्त नहीं करने पर इंडियन बैंक को महिला विरोधी मानसिकता का कहा और साथ ही उसकी कड़ी निंदा भी की, एआइडीडब्ल्यूए ने कहा कि यह महिलाओं के लिए अत्यधिक भेदभावपूर्ण है.

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में, अखिल भारतीय कामकाजी महिला मंच ने इस कदम को इंडियन बैंक की प्रतिगामी व स्त्री-विरोधी धारणा बताया है. इससे पहले भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने भी ऐसा ही आदेश जारी किया था. जिसको बाद में भारी के बाद एसबीआई ने वापस ले लिया था. गौरतलब है कि तब दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने एसबीआई को नोटिस भी जारी किया था.
