नई दिल्ली: 14 मार्च 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) से जुड़ी सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि EVM में गड़बड़ी होने का कोई सबूत नहीं है और चुनाव आयोग EVM की सुरक्षा और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाता है।
याचिकाकर्ताओं की दलीलें:
- याचिकाकर्ताओं ने EVM में गड़बड़ी होने की आशंका जताते हुए चुनाव परिणामों को प्रभावित करने की संभावना व्यक्त की थी।
- उन्होंने EVM को हैक किए जाने का डर जताते हुए बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला:
- न्यायालय ने EVM में गड़बड़ी होने का कोई सबूत नहीं होने का निष्कर्ष निकाला।
- EVM को सुरक्षित माना जाता है और इनमें गड़बड़ी करना बहुत मुश्किल है।
- चुनाव आयोग EVM की सुरक्षा और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाता है।
इस फैसले के दूरगामी परिणाम:
- यह फैसला भारत में चुनाव प्रणाली को मजबूत करता है और EVM की विश्वसनीयता को स्थापित करता है।
- यह चुनाव आयोग के लिए एक बड़ी जीत है और EVM के ख़िलाफ़ अफवाहों पर लगाम लगाता है।
- यह फैसला राजनीतिक दलों को चुनावों में हार के लिए EVM को बलि का बकरा बनाकर अपनी जिम्मेदारी से बचने से रोकेगा।
विरोधी दलों की प्रतिक्रिया:
- कुछ विरोधी दलों ने फैसले को लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए निराशा व्यक्त की है।
- उन्होंने EVM के ख़िलाफ़ अपनी लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया है।
आगे की राह:
- EVM को लेकर बहस जारी रह सकती है, लेकिन यह फैसला EVM के पक्ष में एक मजबूत तर्क प्रस्तुत करता है।
- चुनाव आयोग EVM की सुरक्षा और पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए और अधिक प्रयास कर सकता है।
- राजनीतिक दलों को EVM को स्वीकार करना चाहिए और चुनावों में हार का सामना करने के लिए अपनी रणनीति और नीतियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
निष्कर्ष:
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला EVM के पक्ष में एक महत्वपूर्ण निर्णय है। यह फैसला चुनावों में EVM की भूमिका को मजबूत करता है और लोकतंत्र को मजबूत बनाने में योगदान देता है।
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Deepa Rawat