Harela 2024: : हरेला उत्तराखंड का लोकपर्व है। यह भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन से फसलों की बोवनी की जाती है और किसान अच्छी फसल के लिए भोलेनाथ का पूजन करते हैं। इस दिन घरों को सजाया जाता है और विशेष व्यंजन भी बनाए जाते हैं। हरेला पर्व से ही उत्तराखंड में सावन माह की शुरुआत हो जाती है।
Harela Parv 2024 : भगवान शिव के अति प्रिय सावन माह की शुरुआत 22 जुलाई से होने जा रही है, इस दिन से भोलेनाथ के विशेष अनुष्ठान भी शुरू हो जाएंगे। वहीं, उत्तराखंड में सावन को लेकर अलग मान्यता है। यहां हरेला पर्व से सावन माह की शुरुआत मानी जाती है। आपको बताते हें हरेला पर्व क्या है और इसका भगवान शिव से क्या संबंध है।
कब मनाया जाएगा हरेला पर्व
उत्तराखंड में आज हरेला पर्व मनाया जाएगा। माना जाता है कि राज्य में सावन एक सप्ताह पहले ही शुरू हो जाता है। ऐसे में उत्तराखंड के निवासी सावन के पहले दिन को हरेला पर्व के रूप में मनाकर हरियाली के प्रति कृतज्ञता जताते हैं। इस दिन घरों को फूल-पत्तियों से सजाया जाता है और किसान अच्छी फसल के लिए भोलेनाथ से प्रार्थना करते हैं। इस दिन भात और मसूर की दाल बनाई जाती है।
पर्यावरण से जुड़ा है यह त्योहार
मूलतौर पर यह त्यौहार उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में मनाया जाता है। इस दिन कान के पीछे हरेले के तिनके रखे लोग नजर आते हैं। हरेला का मतलब है हरियाली। उत्तराखंड कृषि पर निर्भर रहा है और यह लोकपर्व इसी पर आधारित है। बीजों के संरक्षण, खुशहाल पर्यावरण को भाव और भक्ति से जोड़ते हुए इस पर्व को पूर्वजों ने आगे पीढ़ियों तक पहुंचाया। हरेला पर्व के समय शिव और पार्वती की पूजा का विधान है।
भगवान शिव से क्या है संबंध
दरअसल, भगवान शिव को प्रकृति का प्रतीक माना गया है और उन्हें खेती का देवता भी कहा जाता है। हरेला पर्व से कई फसलों की बोवनी भी शुरू होती है, ऐसे में हरेला पर्व को महादेव से जोड़कर देखा गया है। इस दिन भगवान शिव के साथ मां पार्वती का पूजन किया जाता है। एक मान्यता यह भी है कि हरेला पर्व सावन के प्रथम दिन मनाया जाता है और यह माह भगवान शिव को समर्पित है। ऐसे में हरेला पर्व पर भोलेनाथ का पूजन किया जाता है।