एसआईटी ने जाफरी की याचिका का विरोध करते हुए गोधरा हत्याकांड के बाद सांप्रदायिक दंगे भड़काने में किसी भी “बड़ी साजिश” से इनकार किया था. यही नहीं साल 2017 में गुजरात हाईकोर्ट ने भी एसआइटी की रिपोर्ट का समर्थन किया था.
नई दिल्ली: साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने वाली एसआईटी रिपोर्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई. सुनावाई के दौरान शीर्ष अदालत ने पीएम नरेंद्र मोदी को मिली क्लीन चिट को बरकरार रखा है. एसआईटी की क्लीन चिट पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लगी. कोर्ट ने 2002 दंगों में पीएम मोदी पर लगे आरोप की जांच से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार करते हुए दिवंगत कांग्रेस नेता जाकिया जाफरी की याचिका खारिज कर दी है. अपने फैसला में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जाकिया की अपील में कोई दम नहीं है.

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पूरे मामले पर हुई सुनवाई के बाद नौ दिसंबर, 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने मैराथन सुनवाई पर फैसला सुरक्षित रखा लिया था. दरअसल, 2002 के गुजरात दंगों के दौरान गुलबर्ग हाउसिंग सोसाइटी हत्याकांड में मारे गए कांग्रेस विधायक एहसान जाफरी की विधवा जकिया जाफरी ने एसआईटी रिपोर्ट को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

एसआईटी ने किया विरोध
एसआईटी ने जाफरी की याचिका का विरोध करते हुए गोधरा हत्याकांड के बाद सांप्रदायिक दंगे भड़काने में किसी भी “बड़ी साजिश” से इनकार किया था. यही नहीं साल 2017 में गुजरात हाईकोर्ट ने भी एसआइटी की रिपोर्ट का समर्थन किया था. एसआईटी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि इस मामले में एफआईआर या चार्जशीट दर्ज करने के लिए कोई आधार नहीं मिला. जाकिया की शिकायत पर जांच भी की गई, लेकिन कुछ नहीं मिला.

जाकिया जाफरी ने सुप्रीम कोर्ट में कही थी ये बात
सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका में, जकिया ने कहा था इस संबंध में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 173 (8) के तहत आगे की जांच करने के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) के लिए निर्देश दें. 8 जून 2006 की शिकायत, और 15 अप्रैल, 2013 की विरोध याचिका के माध्यम से विद्वान के समक्ष रखे गए साक्ष्य. साल 2012 में एसआईटी ने जांच रिपोर्ट दाखिल की, जिसके बाद नरेंद्र मोदी सहित 64 लोगों को क्लीन चिट दी गई थी.
आरोपियों के साथ मिलीभगत का आरोप
जाकिया जाफरी ने एसआईटी पर आरोपियों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया था. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर आपत्ति जताई थी. सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी के लिए कोर्ट ने कहा कि मिलीभगत एक कठोर शब्द है. ये वही एसआईटी है, जिसने अन्य मामलों में चार्जशीट दाखिल की थी और आरोपियों को दोषी ठहराया था. उन कार्यवाही में ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली. इधर, जाकिया जाफरी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि जब एसआईटी की बात आती है तो आरोपी के साथ मिलीभगत के स्पष्ट सबूत मिलते हैं. राजनीतिक वर्ग भी सहयोगी बन गया है.
Edited By: Deshhit News