गूगल ने आज यानी 23 अप्रैल, 2022 को अपने डूडल के जरिए इराक की मशहूर चित्रकार नाजिया सलीम (naziha salim) को याद किया है, साथ ही नाजिया सलीम पेशे से एक प्रोफेसर भी थीं. नाजिया ने अपनी कला के जरिए इकार के अंदर गांव में रहने वाली महिलाओं के जीवन को चित्रित किया है.
नई दिल्ली: गूगल ने आज यानी 23 अप्रैल, 2022 को अपने डूडल के जरिए इराक की मशहूर चित्रकार नाजिया सलीम (naziha salim) को याद किया है, साथ ही नाजिया सलीम पेशे से एक प्रोफेसर भी थीं. नाजिया ने अपनी कला के जरिए इकार के अंदर गांव में रहने वाली महिलाओं के जीवन को चित्रित किया है. नाजिया की इस प्रतिभा को गूगल ने आज अपने डूडल पर याद किया है. आप जब गूगल सर्च करेंगे तो आपको वहां देखने मिलेगा की गूगल ने आज के अपने डूडल में एक तस्वीर को दो हिस्सों में बांटकर दर्शाया है, जिसमें एक तरफ तो पेंट ब्रश पकड़े देखा जा सकता है वहीं, दूसरी ओर तस्वीर में उनकी पेंटिंग को देखा जा सकता है.

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नाजिया सलीम का जन्म 1927 में तुर्की के इस्तांबुल में हुआ था. उनके पिता खुद एक प्रसिद्ध चित्रकार थे और उनकी माता कढ़ाई की कला में माहिर थीं. उनके घर में माता-पिता के आलावा नाजिया के तीन भाई और भी थे, जो कला के क्षेत्र में ही काम करते थे. कहा जाता है कि उनके एक भाई इराक के सबसे प्रभावशाली मूर्तिकारों में से एक माने जाते थे. वहीं, उनके दूसरे भाई डिजाइनर थे जबकि तीसरे भाई राशिद एक राजनीतिक कार्टूनिस्ट थे. नाजिया सलीम ने बहुत कम उम्र में ही कला में दिलचस्पी दिखानी शुरू कर दी थी.

फ्रांस में की थी पढ़ाई, फिर बगदाद आईं
सलीम अल-रुवाद के संस्थापक सदस्यों में से एक थी, जो ऐसे कलाकारों का समुदाय है जो विदेशों में अध्ययन करता है और इराकी सौंदर्यशास्त्र में कला तकनीकों में योगदान देता है. नाजिया ने ” इराक: समकालीन कला ” पर अपनी एक किताब भी प्रकाशित की थी, जो इराक के आधुनिक कला आंदोलन के शुरुआती विकास पर केंद्रित है. उन्होंने कला के क्षेत्र में योगदान देने के साथ वह एक शिक्षिका भी थी जो बाद में फाइन आर्ट्स इंस्टिट्यूट में प्रोफेसर बनी.

विदेश में पढ़ने के लिए मिली थी स्कॉलरशिप
नाजिया इराक की पहली महिला थी जिन्हें अपनी पढ़ाई करने के लिए विदेश में स्कॉलरशिप मिली थी. उन्हें कला का बहुत शौक था. नाजिया घर की इकलौती बेटी थी जिन्होंने कला के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई और इराक ही नहीं बल्कि दुनिया में एक उत्तम स्तर की कलाकार का दर्जा प्राप्त की.
नाजिया पहली महिला था जिन्हें कला के क्षेत्र में आगे की पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप मिली थी. 1940 में उन्होंने बगदाद फाइन आर्ट इंस्टीट्यूट से ग्रेजुएट की पढ़ाई पूरी की. उसके बाद स्कॉलरशिप मिलने के बाद उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई पेरिस से की. इसके बाद नाजिया बगदाद फाइन आर्ट्स में पढ़ाने के लिए वापस बगदाद लौट आई. वह इराक के अल-रुवाद की संस्थापकों में से एक थीं.
नाजिया क्यों गूगल ने बनाया डूडल
नाजिया ने कला के क्षेत्र लम्बे अरसे तक कम किया है और साथ ही बहुत योगदान भी दिए हैं. उनकी कलाकारी को दुनिया ने सराहा है इसलिए उनकी कलाकृति शारजहाँ कला संग्राहलय और आधुनिक कला इराकी संग्रह में लातिकी हुई है. गूगल लम्बे समय से कला के प्रति उनके योगदान को दर्शाने किए लिए आज का ये डूडल उनके नाम किया है.