सुप्रीम कोर्ट ने 10 फरवरी की सुनवाई को टालते हुए माल्या को अपना पक्ष रखने का अंतिम मौका दिया था. उस वक़्त कोर्ट ने साफ तौर से कहा था कि अगर अगली सुनवाई में दोषी अपने वकील के जरिए पक्ष नहीं रखता है तो सजा को लेकर कार्रवाई नहीं रोकी जाएगी.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना से जुड़े मामले में विजय माल्या को 4 महीने की सजा दी है. कोर्ट ने इस मामले में विजय माल्या को 2 हजार रुपये का जुर्माना चुकाने का आदेश दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अगर जुर्माना नहीं चुकाया गया तो 2 महीने की सजा और बढ़ सकती है. इसके अलावा सख्त लहजे में विजय माल्या को ये भी आदेश दिए गए कि विदेश में ट्रांसफर किए गए 40 मिलियल डॉलर 4 हफ्ते में तत्काल प्रभाव से चुकाए.
बताया जा रहा है कि, सुप्रीम कोर्ट में 3 जज़ों की बेंच ने इस केस की सुनवाई की. इनमें जस्टिस यू यू ललित, जस्टिस एस रविंद्र भट्ट और जस्टिस सुधांशु धूलिया शामिल रहें. आपको बता दें कि माल्या ने न सिर्फ विदेशी खातों में अवैध तरीके से पैसे ट्रांसफर करने को लेकर कोर्ट को गलत जानकारी दी, बल्कि कोर्ट के आदेश के बाद भी पिछले 5 साल से कोर्ट में पेश न होकर अवमानना को और आगे बढ़ाया है. गौरतलब है कि माल्या को साल 2017 में ही सुप्रीम कोर्ट ने अपनी अवमानना का दोषी करार दिया था.

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कोर्ट ने माल्या को अपना पक्ष रखने का दिया था मौका
सुप्रीम कोर्ट ने 10 फरवरी की सुनवाई को टालते हुए माल्या को अपना पक्ष रखने का अंतिम मौका दिया था. उस वक़्त कोर्ट ने साफ तौर से कहा था कि अगर अगली सुनवाई में दोषी अपने वकील के जरिए पक्ष नहीं रखता है तो सजा को लेकर कार्रवाई नहीं रोकी जाएगी. दरअसल, उसे डिएगो डील के 40 मिलियन डॉलर अपने बच्चों के विदेशी एकाउंट में ट्रांसफर करने और सम्पत्ति का सही ब्यौरा न देने के लिए अवमानना का दोषी करार दिया गया था.
कोर्ट को नहीं दिया पूरी संपत्ति के ब्यौरा
दरअसल यह मामला यह है कि, बैंकों ने मांग की थी कि 40 मिलियन यूएस डॉलर जो डिएगो डील के दौरान माल्या की कंपनी को मिले थे, उनको सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा कराया जाना था. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने माल्या से पूछा था कि आपने जो कोर्ट में अपनी सम्पतियों के ब्यौरा दिया क्या वो सही है या नहीं? क्या आपने कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन तो नहीं किया है? क्योंकि कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि माल्या बिना कोर्ट के अनुमति कोई भी ट्रांजेक्शन नहीं कर सकते.
सुनवाई के दौरान कोर्ट की ओर से नियुक्त न्यायमित्र सीनियर एडवोकेट जयदीप गुप्ता ने पीठ को बताया था कि माल्या को दो मामलों में अदालत पहले ही दोषी ठहरा चुकी है. पहला संपत्ति का खुलासा नहीं करना और दूसरा कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करना. शीर्ष अदालत ने माल्या को अदालती आदेश का उल्लंघन करते हुए अपने बच्चों को अघोषित निजी संपदा में से 4 करोड़ डॉलर की रकम ट्रांसफर करने का दोषी माना था. उस समय सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि माल्या की अनुपस्थिति में ही सजा के मुद्दे को आगे बढ़ाया जाएगा.
Edited By: Deshit news