धरती का तापमान बढ़ रहा है: वन विनाश, एक ज्वलंत मुद्दा

24 May, 2024
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नई दिल्ली: पिछले 23 वर्षों में भारत ने 2.33 मिलियन हेक्टेयर (6%) वन क्षेत्र खो दिया है। यह चिंताजनक आंकड़ा दर्शाता है कि हम धीरे-धीरे अपनी धरती को बंजर बना रहे हैं। वन विनाश, जलवायु परिवर्तन के खतरे को और बढ़ा रहा है, और इस ज्वलंत मुद्दे पर तत्काल नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता है।


वन विनाश: एक बहुआयामी संकट
जलवायु परिवर्तन: वनों का तेजी से सफाया धरती के तापमान में वृद्धि का एक प्रमुख कारण बन रहा है। पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं, जो ग्रीनहाउस गैस है और वायुमंडल में गर्मी को फँसाता है। वन विनाश, इस प्राकृतिक कार्बन सिंक को कमजोर करता है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग तेज होती है।


जैव विविधता का क्षरण: वन अनेक जीवों का निवास स्थान हैं। वनों के विनाश से अनेक प्रजातियों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है। यह जैव विविधता के नुकसान का एक प्रमुख कारण है, जिसका पारिस्थितिकी तंत्र और मानव जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
मृदा क्षरण: पेड़ों की जड़ें मिट्टी को बांधकर रखती हैं। वनों के बिना, मिट्टी हवा और पानी के बहाव से क्षरण का शिकार हो जाती है। यह मृदा उर्वरता को कम करता है और कृषि उत्पादकता को प्रभावित करता है।


सूखा: पेड़ वर्षा को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वनों के विनाश से सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ जाता है। यह जल संकट को गहराता है और ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान पहुंचाता है।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) की भूमिका:


राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने वन विनाश के खतरे को गंभीरता से लिया है।
NGT ने केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर जवाब मांगा है और वनों की कटाई पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
NGT का यह हस्तक्षेप पर्यावरणीय क्षरण के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है।

आवश्यकता: एक बहुआयामी रणनीति


कठोर कानून और नीतियां: वनों की कटाई को रोकने और वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के लिए कठोर कानून और नीतियां आवश्यक हैं।
प्रौद्योगिकी का उपयोग: वन क्षेत्र की निगरानी और वन विनाश की रोकथाम के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाना चाहिए।
जागरूकता अभियान: लोगों को वन विनाश के खतरों और वृक्षारोपण के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए व्यापक अभियान चलाए जाने चाहिए।
सामुदायिक भागीदारी: वन संरक्षण में स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।

निष्कर्ष:
अव्यावस्थित औद्योगिकीकरण वन विनाश, हमारी धरती के लिए एक गंभीर खतरा है इसलिए NGT का हस्तक्षेप इस मुद्दे पर ध्यान आकर्षित करने में महत्वपूर्ण है।


वन विनाश, धरती के लिए एक गंभीर खतरा है। NGT का हस्तक्षेप इस मुद्दे पर ध्यान आकर्षित करने में महत्वपूर्ण है। हमें मिलकर प्रयास करने होंगे, कठोर नीतियां बनाने होंगी, और तकनीक का उपयोग करना होगा, ताकि हम अपनी धरती को बचा सकें और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वास्थ्य और सुरक्षित भविष्य दे सकेंगे।

संदीप उपाध्याय

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