गौरतलब है कि राज्यसभा सचिवालय के एक बुलेटिन में कहा गया है कि संसद भवन के परिसर में धरना, प्रदर्शन, हड़ताल, अनशन या धार्मिक समारोहों के लिए इस्तमाल नहीं किया जा सकता है.
नई दिल्ली: संसद भवन परिसर का इस्तेमाल धरना, प्रदर्शन, हड़ताल, अनशन या धार्मिक समारोहों के लिए नहीं किए जा सकने से सम्बंधित एक निर्देश जारी किया है. जिसको लेकर कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने ऐतराज जताया है. इसके बाद लोकसभा सचिवालय ने मामले में स्पष्टीकरण जारी किया कर कहा कि यह महज एक सामान्य प्रक्रिया है और हर सत्र से पहले इसे जारी किया जाता है. लोकसभा सचिवालय की सूचना की माने तो, ऐसे दिशा-निर्देश हर सत्र से पहले जारी किये जाते हैं. पिछले साल 3 अगस्त 2021 को भी संसद परिसर में धरना-प्रदर्शन नहीं करने को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए गए थे. जयराम रमेश जब डॉक्टर मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार में केंद्रीय मंत्री थे तब भी यह सलाह जारी की जाती रही थी.

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जयराम रमेश ने ऐतराज जताते हुए किया ट्विट
संसद भवन परिसर का इस्तेमाल धरना, प्रदर्शन को नहीं करने को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर इसमें पार्लियामेंट की इस बुलेटिन को शेयर करते हुए लिखा कि, Vishguru’s latest salvo D(h) arna Mana Hai! (विषगुरू का ताजा प्रहार…धरना मना है). उन्होंने इसके साथ 14 जुलाई का बुलेटिन भी साझा किया.
गौरतलब है कि राज्यसभा सचिवालय के एक बुलेटिन में कहा गया है कि संसद भवन के परिसर में धरना, प्रदर्शन, हड़ताल, अनशन या धार्मिक समारोहों के लिए इस्तमाल नहीं किया जा सकता है. माना जा रहा है कि धरना, प्रदर्शन के मुद्दे को लेकर यह बुलेटिन ऐसे समय में सामने आया है जब एक दिन पहले ही लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी असंसदीय शब्दों के संकलन को लेकर कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर निशाना साधा था. बताया जा रहा है कि मानसून सत्र से पहले राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी द्वारा जारी बुलेटिन में इस विषय पर सदस्यों से सहयोग का अनुरोध किया गया है.
मानसून सत्र से ठीक पहले ऐसा आदेश, होगा हंगामा
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले असंसदीय शब्दों के संकलन या शब्दकोष को लेकर उठे विवादों के बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने साफ किया है कि कोई भी शब्द प्रतिबंधित नहीं किया गया है. यानी सूची में दिए गए शब्द भी सदस्य बोल सकते हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल गलत संदर्भो में नहीं किया जाएगा. अगर संदर्भ गलत होगा तभी उसे संसदीय कार्यवाही से हटाया जाएगा या कहें रिकॉर्ड से बाहर निकाल दिया जाएगा. वैसे यह अपेक्षित है कि सदस्य संसद की मर्यादा का पालन करें और आमजन में संसद की छवि बेहतर करें.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि किसी शब्द को असंसदीय शब्दों के कोष में शामिल करने की व्यवस्था नई नहीं है, यह वर्ष 1954 से चली आ रही है. बता दें कि बिरला ने यह स्पष्टीकरण इस मुद्दे पर विपक्ष के मोर्चा खोलने के बाद दिया. विपक्षी नेताओं ने इस सूची को संसद के भीतर विपक्ष की जुबान बंद करने की कोशिश करार दिया था. इनमें कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और आप समेत सभी विपक्षी दल शामिल थे.
Edited By: Deshhit News