रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस योजना के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अग्निपथ योजना के अंतर्गत यह प्रयास किया जा रहा है, कि भारतीय सशस्त्र बल का प्रोफ़ाइल उतना ही यूथफूल हो, जितना कि व्यापक भारतीय जनसंख्या का है.
नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज प्रेस कांफ्रेंस कर ‘अग्निपथ भर्ती योजना’ की घोषणा की है और इस दौरान उन्होंने कहा कि युवाओं के पास शॉर्ट टर्म के लिए सेना में जाने का मौका मिलेगा. राजनाथ सिंह ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि पिछले कई सालों में रक्षा व्यवस्था की मजबूती बनाने को लेकर कई अहम कदम उठाए गए हैं. इसी मजबूती को आगे बढ़ाते हुए हम अब सेना को विश्व की बेहतरीन सेना बनाने के लिए अग्निपथ योजना ला रहे है. देश की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए अग्निवीर आएंगे. इस योजना से नौकरी के अवसर बढ़ेंगे. अग्निवीरों के लिए अच्छे पैकेज की व्यवस्था की गई है. साथ ही देश को स्किल वाले लोग भी मिलेंगे.

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राजनाथ सिंह ने इस योजना के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अग्निपथ योजना के अंतर्गत यह प्रयास किया जा रहा है, कि भारतीय सशस्त्र बल का प्रोफ़ाइल उतना ही यूथफूल हो, जितना कि व्यापक भारतीय जनसंख्या का है. अग्निवीर सेवा के दौरान अर्जित स्किल एवं अनुभव, उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में रोज़गार प्राप्त करने में मदद करेगा. अग्निवीरों के लिए एक अच्छी पे पैकेज होगा. 4 साल की सेवा के बाद सेवा निधि पैकेज एवं उदारवादी ‘मृत्यु और विकलांगता पैकेज” की भी व्यवस्था की गई है.
सेवा से मुक्त होने के बाद मिलेगा इंश्योरेंस
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि सेवा के दौरान जवान शहीद होता है तो उसके परिवार को पूरा इंश्योरेंस कवर मिलेगा. साथ ही शहीद के परिवार को सेवा निधि समेत करीब 1 करोड़ रुपये मिलेंगे. इसके अलावा शहीद की बची हुई सेवाकाल की पूरी सैलरी भी परिवार को मिलेगी. सेवा के दौरान अगर जवान दिव्यांग हो जाते हैं तो दिव्यांगता के प्रतिशत के आधार पर उसे करीब 44 लाख रुपये मिलेंगे.

नई अग्निपथ योजना के तहत युवा चार साल की अवधि के लिए सेना में शामिल होंगे और देश की सेवा करेंगे. यह योजना रक्षा बलों के खर्च और आयु प्रोफाइल को कम करने की दिशा में सरकार के प्रयासों का एक हिस्सा भर है. माना जा रहा है कि भर्ती के लिए काफी विस्तार किया जा सकता है. चार साल के अंत में, लगभग 80 प्रतिशत सैनिकों को ड्यूटी से मुक्त कर दिया जाएगा और उन्हें आगे के रोजगार के अवसरों के लिए सशस्त्र बलों से सहायता मिलेगी. कई निगम ऐसे प्रशिक्षित और अनुशासित युवाओं के लिए नौकरी आरक्षित करने में भी रुचि लेंगे जिन्होंने अपने देश की सेवा की है.
सशस्त्र बलों द्वारा अनुमान लगाया गया है कि अगर इस टूर ऑफ ड्यूटी कॉन्सेप्ट के तहत काफी संख्या में सैनिकों को भर्ती किया जाता है तो वेतन, भत्तों और पेंशन में हजारों करोड़ की बचत की जा सकती है. इसके अलावा भर्ती किए गए युवाओं में से बेस्ट को रिक्तियों के उपलब्ध होने की स्थिति में अपनी सेवा जारी रखने का भी अवसर मिल सकता है. आपको बता दें डीएमए ने भारतीय मॉडल विकसित करने से पहले आठ देशों में इसी तरह के भर्ती मॉडल का अध्ययन किया था.