संक्षिप्त विवरण:
लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने सीएए को किया लागू ।
यह कदम विवाद खड़ा कर सकता है, क्योंकि विपक्ष इसे भेदभावपूर्ण बता रहा है।
विवरण:
भारत सरकार ने 11 मार्च 2024 को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लागू करने की घोषणा की।
यह कदम आगामी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उठाया गया है, जिससे राजनीतिक माहौल गरम होने की संभावना है।
उल्लेखनीय है कि केरल और पश्चिम बंगाल की सरकारों ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वे CAA को लागू नहीं करेंगी।
CAA के प्रावधान:
यह अधिनियम पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए उन गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान करता है, जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत में प्रवेश कर चुके हैं।
इसके तहत हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को नागरिकता दी जा सकेगी।
विपक्ष का विरोध:
विपक्षी दलों ने CAA की कड़ी आलोचना की है और इसे “भेदभावपूर्ण” और “संविधान विरोधी” बताया है।
उनका कहना है कि यह कानून धर्म के आधार पर भेदभाव करता है और भारतीय संविधान की धर्मनिरपेक्षता की मूल भावना का उल्लंघन करता है।
चुनावी दांव :
विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने CAA को चुनावी लाभ के लिए लागू किया है।
उनका कहना है कि इससे हिंदू राष्ट्रवाद का संदेश दिया जा रहा है।
नागरिकता का अधिकार :
सरकार का कहना है कि CAA उन प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने का एक मानवीय प्रयास है, जिन्हें धर्म के आधार पर पड़ोसी देशों में उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है।
आगे क्या?
यह देखना बाकी है कि CAA का आगामी लोकसभा चुनावों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
साथ ही, यह भी देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस कानून को वैध ठहराएगा या इसे असंवैधानिक घोषित करेगा।
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