पिछले दिनों कानून मंत्रालय ने सरकार को सूचित किया है कि उनका कार्यकाल 30 जून को समाप्त हो रहा है और इस पद पर नियुक्ति की आवश्यकता है. उन्होंने पहली बार 1 जुलाई, 2017 को मुकुल रोहतगी के स्थान पर केंद्र सरकार के शीर्ष कानूनी अधिकारी, अटॉर्नी जनरल के रूप में पदभार संभाला था.
नई दिल्ली: भारत सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता के. के. वेणुगोपाल का तीन महीनों के लिए अटॉर्नी जनरल के रूप में आगे बढ़ाया गया है. उनका कार्यकाल 30 जून, 2022 को समाप्त हो रहा है. केंद्र सरकार ने वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल से भारत के अटॉर्नी जनरल के रूप में बने रहने का विशेष अनुरोध किया है. केंद्र सरकार के अनुरोध पर वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल ने भारत के अटॉर्नी जनरल के रूप में बने रहने के लिए सहमति दे दी है. सूत्रों की सूचना के अनुसार माने तो वेणुगोपाल उम्र के चलते एकबारगी इस पद से अलग होना चाहते थे. लेकिन यह भी कहा जा रहा था कि वर्तमान हालातों में सरकार के लिए वेणुगोपाल इस पद के लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति हैं. इसके चलते सरकार एक बार फिर उन्हें ही इस पद पर बनाए रखना चाहती है.
कई अहम मामलों में सरकार का पक्ष रख रहे हैं
वेणुगोपाल कई प्रमुख मामलों में केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. इसमें सबसे मुख्य कार्य है अनुच्छेद 370 को संवैधानिक चुनौती और साथ ही धारा 124-ए के तहत देशद्रोह का मामला भी शामिल है. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में देशद्रोह कानून को खत्म करने की मांग की गई है. उन्होंने 2018 में राफेल मामले और अन्य प्रमुख केस के दौरान संवैधानिक चुनौती में सरकार का सफलतापूर्वक बचाव किया था.

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क्या होता है अटॉर्नी जनरल का पद
अटॉर्नी जनरल केंद्र सरकार के लिए देश के सबसे शीर्ष कानून अधिकारी और साथ ही मुख्य कानूनी सलाहकार भी होते हैं जो सुप्रीम कोर्ट में महत्वपूर्ण मामलों में केन्द्र सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं और सरकार का बचाव भी करते हैं.
1 जुलाई 2017 को बने थे अटॉर्नी जनरल
पिछले दिनों कानून मंत्रालय ने सरकार को सूचित किया है कि उनका कार्यकाल 30 जून को समाप्त हो रहा है और इस पद पर नियुक्ति की आवश्यकता है. उन्होंने पहली बार 1 जुलाई, 2017 को मुकुल रोहतगी के स्थान पर केंद्र सरकार के शीर्ष कानूनी अधिकारी, अटॉर्नी जनरल के रूप में पदभार संभाला था.

वेणुगोपाल की खूबियां
वेणुगोपाल को उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2002 में पद्म भूषण और 2015 में पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया था. उन्हें देश के न्यायिक सुधारों के मुख्य अधिवक्ताओं में से एक माना जाता है. वे सुप्रीम कोर्ट की रीजनल बैंचो के गठन के सख्त खिलाफ हैं. इसके बजाए वे देश के चार क्षेत्रों में अपील के लिए अदालतें गठन करने की वकालत करते रहे हैं.
Edited By: Deshhit News