जुबैर के खिलाफ सीतापुर, लखीमपुर खीरी, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर और हाथरस जिले में कथित तौर पर धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में मुकदमे दर्ज किए गए हैं. जुबैर ने कथित रूप से कुछ समाचार चैनलों के पत्रकारों पर कटाक्ष किया था.
उत्तर प्रदेश: फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर ने अपने खिलाफ हुई उत्तर प्रदेश में दर्ज 6 एफआईआर को रद्द करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक जुबैर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर यूपी में गठित की गई एसआईटी की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती भी दी है.

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गौरतलब है कि यूपी सरकार ने मंगलवार यानी 12 जुलाई को मोहम्मद जुबैर पर लगे आरोपों के बीच यूपी सरकार ने जांच के लिए विशेष अनुसंधान दल (एसआईटी) का गठन किया था. यूपी के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि एसआईटी से कहा गया है कि वह जुबैर के खिलाफ मामलों में जांच तेजी से कर अदालत में चार्जशीट दाखिल करें. उन्होंने आगे बताया कि पुलिस महानिरीक्षक (कारागार) डॉक्टर प्रीतिंदर सिंह एसआईटी का नेतृत्व करेंगे जबकि महानिरीक्षक अमित वर्मा इसके सदस्य होंगे. जांच में मदद के लिए एसआईटी में तीन पुलिस उपाधीक्षक को भी शामिल किया गया है.
जुबैर के खिलाफ इन जिलों में दर्ज है FIR
जुबैर के खिलाफ सीतापुर, लखीमपुर खीरी, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर और हाथरस जिले में कथित तौर पर धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में मुकदमे दर्ज किए गए हैं. जुबैर ने कथित रूप से कुछ समाचार चैनलों के पत्रकारों पर कटाक्ष किया था. इसके अलावा उन पर हिंदू देवी देवताओं का कथित अपमान करने के साथ-साथ भड़काऊ पोस्ट सोशल मीडिया पर डालने का आरोप भी है.
हिंदूवादी नेताओं ने लगाये आरोप
सीतापुर में जुबैर के खिलाफ हिंदू शेर सेना के जिलाध्यक्ष भगवान शरण की शिकायत पर बीती तारीख एक जून को मुकदमा दर्ज कराया था. शरण ने जुबैर की ओर से किए गए एक ट्वीट की शिकायत की थी, जिसमें तीन हिंदूवादी नेताओं यति नरसिंहानंद सरस्वती, बजरंग मुनि और आनंद स्वरूप पर कथित नफरत फैलाने का आरोप लगाया गया था. हालांकि, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर को अंतरिम जमानत दे दी थी.

12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के सीतापुर में मोहम्मद जुबैर के खिलाफ हुए दर्ज मामले पर अंतरिम जमानत को बढ़ा दिया था. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एएस बोपन्ना ने मामले की सुनवाई करते हुए अंतिम निपटान के लिए 7 सितंबर को सूचीबद्ध किया है. पीठ ने कहा कि राज्य सरकार ने जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए समय मांगा जिस पर उसे चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करना है. वहीं, पिछली सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा था कि उसने सीतापुर में दर्ज मामले की जांच पर रोक नहीं लगाई है. जरूरत पड़ने पर पुलिस लैपटाप और अन्य इलेक्ट्रानिक डीवाइस जब्त कर सकती है.

Edited By: Deshhit News