उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के बुढ़ाना कस्बे से 43 कांवड़ियों का एक जत्था 511 फीट लंबी तिरंगा कांवड़ लेकर हरिद्वार से पैदल निकला है। ये यात्रा देशभक्ति और भक्ति का ऐसा संगम है जिसे देख हर कोई श्रद्धा से नतमस्तक हो रहा है। ये तिरंगा कांवड़ उन 18 भारतीय सैनिकों की याद में निकाली गई है जो 2016 में उरी हमले में शहीद हुए थे।

शहीदों की याद में हर साल एक फीट बढ़ाते हैं तिरंगा
कांवड़ यात्रा की ये खास बात है कि इसमें हर साल तिरंगा एक फीट लंबा किया जाता है। इस बार ये यात्रा 511 फीट लंबी है। लोहे के 62 खंभों पर तिरंगा झंडा फहराया गया है, जिसे देखकर रास्ते में लोग खड़े होकर सलामी देते हैं और वंदे मातरम् के नारे लगाते हैं।
कांवड़ के साथ चल रहे युवा भगवा वस्त्रों में “जय शिव शंभू”, “वंदे मातरम्” और “भारत माता की जय” के नारे लगाते हुए आगे बढ़ रहे हैं।
कब और कहां पहुंचेगी यात्रा?
यह तीसरी बार है जब बुढ़ाना के युवाओं ने यह अनूठी तिरंगा कांवड़ यात्रा निकाली है। यात्रा हरिद्वार से शुरू होकर बागपत के पुरा महादेव मंदिर पहुंचेगी, जहां 23 जुलाई को जलाभिषेक किया जाएगा। कांवड़ यात्रा को लेकर स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा और व्यवस्थाओं को लेकर आवश्यक निर्देश जारी किए हैं।
सोशल मीडिया पर मिला जबरदस्त रिस्पॉन्स
इस 511 फीट लंबी तिरंगा कांवड़ यात्रा का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। देशभर से लोग इस पहल की सराहना कर रहे हैं। कई यूजर्स ने इसे देशभक्ति और आस्था का बेजोड़ उदाहरण बताया।
कैसे बनी ये परंपरा?
साल 2016 में जब जम्मू-कश्मीर के उरी में आतंकवादी हमला हुआ और 18 भारतीय जवान शहीद हो गए, तब बुढ़ाना के युवाओं ने तय किया कि वे हर साल तिरंगे के जरिए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। तभी से ये यात्रा शुरू हुई और हर साल इसकी लंबाई एक फीट बढ़ाई जाती है।

इस पहल का उद्देश्य देश के युवाओं में देशभक्ति की भावना को जागृत करना और शिवभक्ति के साथ-साथ शहीदों के सम्मान को बनाए रखना है।
क्या कहते हैं कांवड़ यात्री?
यात्रा में शामिल कांवड़ियों का कहना है, “हम सिर्फ भगवान शिव का जलाभिषेक नहीं कर रहे, बल्कि अपने देश के लिए बलिदान देने वाले जवानों को याद कर रहे हैं। तिरंगा सिर्फ एक झंडा नहीं, हमारी शान और शहीदों की पहचान है।”
जब भक्ति में जुड़ती है देशभक्ति
सावन महीने में निकाली गई यह 511 फीट लंबी तिरंगा कांवड़ यात्रा ना सिर्फ शिवभक्तों की आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह देश के प्रति युवाओं की जिम्मेदारी और सम्मान का भी परिचय है। 23 जुलाई को जब यह कांवड़ पुरा महादेव मंदिर पहुंचेगी, तब यह केवल जलाभिषेक नहीं होगा, बल्कि शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि भी होगी।